कलेक्ट्रेट में भी मची रही अफरातफरी
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : भूकंप के झटकों ने कलेक्ट्रेट में तैनात कर्मियों में भी अफरातफरी मची रही।
जागरण संवाददाता, गोपालगंज : भूकंप के झटकों ने कलेक्ट्रेट में तैनात कर्मियों में भी अफरातफरी मची रही। अधिकारी भी इस बात को लेकर परेशान दिखे। आलम यह था कि भूकंप के पहले झटके के बाद से ही कलेक्ट्रेट में कोई भी काम नहीं हुआ। कर्मी भय के मारे कार्यालय में ताला बंद कर कलेक्ट्रेट परिसर में आ गये। ऐसे में कलेक्ट्रेट में पूरे दिन यहीं स्थिति बनी रही।
शनिवार को भूकंप के झटकों ने हर व्यक्ति को झकझोर दिया। इससे कलेक्ट्रेट भी अछूता नहीं रहा। पहली बार झटका लगने के साथ ही अपने चैंबर में मौजूद अधिकारी झट से बाहर निकल पड़े। महज आधे मिनट में पूरे कलेक्ट्रेट में कार्य करने वाले दर्जनों अधिकारी व कर्मचारी कलेक्ट्रेट कैंपस में आ गये। खुद जिलाधिकारी कृष्ण मोहन भी चैंबर से बाहर निकल कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंच गये। चैम्बर से निकलने के समय उन्होंने अन्य कर्मियों को भी कार्यालय छोड़कर बाहर निकलने की बात कह गये। पहली बार भूकंप का झटका समाप्त होने के बाद कर्मी व अधिकारी दोबारा अपने कार्यालय में पहुंच गये। लेकिन चंद मिनट में ही दोबारा झटका लगा। इसके बाद अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक परेशान हो गये। दोबारा कलेक्ट्रेट कैंपस में भीड़ जमा हो गयी। दूसरी बार भूकंप का झटका महसूस होने के बाद कर्मियों ने कार्यालयों में ताला लगा दिया और कलेक्ट्रेट परिसर में ही खड़े हो गये। देर शाम तक यहीं स्थिति बनी रही।
12 बजे ही खुल गया मुख्य गेट
गोपालगंज : हर दिन बंद रहने वाला कलेक्ट्रेट मुख्य गेट भूकंप के झटके के बाद दिन के बारह बजे ही खुल गया। बारह बजे से वरीय अधिकारियों के आदेश के कारण पूरे दिन गेट पर ताला नहीं लगा। ताकि भूकंप का झटका दोबारा आने की स्थिति में लोग कलेक्ट्रेट छोड़कर बाहर निकल सके।
कार्यालय का छप्पर खिसका
गोपालगंज : कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित सामाजिक सुरक्षा कोषांग कार्यालय का छप्पर भूकंप के बाद खिसक गया। छप्पर खिसकने के समय कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मी बाहर निकल चुके थे। ऐसे में किसी भी तरह की अनहोनी नहीं हुई।
बेड छोड़कर भागे मरीज
गोपालगंज : सदर अस्पताल में भूकंप का झटका महसूस होने के साथ ही मरीज खुद बेड को छोड़कर भागने लगे। आधे मिनट के अंदर पूरा अस्पताल परिसर मरीज व उनके परिजनों से पूरी तरह से भर गया। भूकंप के झटके के कारण मरीज भी परेशान दिखे। लोग अस्पताल परिसर से ही अपने परिवार के लोगों का कुशल जानने के लिए बेचैन दिख।