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किसी पर्यटक स्थल कम नहीं बांकेधाम

गया। बाकेधाम में गिद्धा पर्वत पर शिव, पार्वती एवं सूर्य के विशाल मंदिर है। ऐसे तो यहां प्रतिदिन भ

By JagranEdited By: Published: Wed, 22 Feb 2017 08:42 PM (IST)Updated: Wed, 22 Feb 2017 08:42 PM (IST)
किसी पर्यटक स्थल कम नहीं बांकेधाम

गया। बाकेधाम में गिद्धा पर्वत पर शिव, पार्वती एवं सूर्य के विशाल मंदिर है। ऐसे तो यहां प्रतिदिन भक्तों की भीड़ लगती है। लेकिन महाशिवरात्रि के दिन बाबा के दरबार में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। यहा जो भी श्रद्धालु आते हैं। उनकी मनोकामना पूर्ण होती है।

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विशेष तैयारी

महाशिवरात्रि को लेकर बांकेधाम में विशेष तैयारी की जा रही है। मंदिर एवं इसके आसपास परिसर को सजाया जा रहे है। पर्वत पर स्थापित इस मंदिर से लेकर नीचे तक रंग बिरंगे बिजली के बल्ब लगाए गए हैं। दूर दराज से आए श्रद्धालुओं के ठहरने का उचित प्रबंध किया गया है। शुद्ध पेयजल की भी व्यवस्था विशेष तौर पर की गई है। सारी तैयारियां व व्यवस्था पर्वतीय सूर्य एवं शिव मंदिर जीर्णोद्धार तथा निर्माण समिति कर रही है।

ऐसे हुआ मंदिर का उद्भव

बात 17 सितम्बर 1983 की है। बांकेबाजार स्थित गिद्धा पर्वत के उत्तल श्रृंखला पर पुरातात्विक अवशेष के कुछ प्रतीक चिन्ह एवं मंदिर के अवशेष भूमिगत दिखाई पड़े थे। जिसकी चर्चा इलाके में आग की तरह फैल गई। इसके बाद स्थलों पर खुदाई का कार्य शुरु किया गया। इस दरम्यान प्राचीन सूर्य एवं शिव मंदिर के अवशेष के साथ शिवलिंग, सूर्य की प्रतिमा, अनेक खंडित मूर्तियां, पुरातात्विक अवशेष, पत्थर, शिला, चित्रित पत्थर स्तंभ, प्राचीन सिक्के आदि मिले।

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पुरातात्विक विभाग की नजर पड़ी

1983-84 में पुरातात्विक विभाग द्वारा सर्वेक्षण उपरांत खुदाई का काम इस आश्वासन के साथ रोक दिया गया कि यह कार्य प्रशिक्षित कारीगरों एवं कामगारों द्वारा विभागीय स्तर से कराई जाएगी। ताकि गर्भ में स्थित अवशेष को क्षति होने से बचाई जा सके।

जन सहयोग से बना मंदिर

बाकेबाजार प्रखंड के टंडवा गाव स्थित गिद्धा पर्वत के शिखर पर शिव, पार्वती एवं सूर्य मंदिर का निर्माण जन सहयोग से कराया गया। यहां विशाल धर्मशाला, तलहट्टी में सडक मार्ग, पहाड़ी मंदिर तक पहुंचने के लिए 107 सीढि़यों का निर्माण भी जन सहयोग से कराया गया।

प्रमुख पर्यटक केंद्र है बांकेधाम

भले ही बांकेधाम को सरकारी स्तर पर पर्यटक स्थल का दर्जा नहीं मिला है। लेकिन किसी पर्यटक केंद्र से कम नहीं है बांकेधाम। यहा का प्राकृतिक सौंदर्य देखने लायक है। पर्वत गिद्धा पर्वत की शिखर पर पहुंचते ही भक्तों का मन ईश्वर और प्रकृति में तल्लीन हो जाता है। कई राज्यों के लोग इस मंदिर में शिव का दर्शन करने आते हैं।


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