अप्रतिम है कोंच का कोचेश्वर नाथ मंदिर
गया। कोंच का कोचेश्वर नाथ मंदिर अप्रतिम है। मगध क्षेत्र में विराजमान यह मंदिर राष्ट्रीय धरोहर है।
गया। कोंच का कोचेश्वर नाथ मंदिर अप्रतिम है। मगध क्षेत्र में विराजमान यह मंदिर राष्ट्रीय धरोहर है। 1996 में भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग इसे अधिग्रहित कर चुका है। प्रखंड मुख्यालय से महज दो किमी दूर कोंच-टिकारी पथ पर अवस्थित कोंचेश्वर नाथ मंदिर 8 वीं शताब्दी में शंकराचार्य के द्वारा स्थापित किया गया था।
कोंच व कोंचेश्वर नाथ का इतिहास
कोंच का कोंचेश्वर नाथ मंदिर का वर्णन वैदिक काल के अनेक ग्रंथों में है। कोंच का नाम एक क्रौंच पक्षी जो बाल्मिकी के आश्रम में तीर लगने से घायल होकर गिर गया था। महर्षि बाल्मिकी ने उसे बचाया। उसी समय क्रौंच पक्षी के नाम से कोंच को जाना जाता है।
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आदि गुरू शंकराचार्य ने स्थापित किया
यह मंदिर आदि गुरू शकराचार्य के द्वारा स्थापित किया गया था। वस्तुत: यह मंदिर ब्रम्हागीन मंदिर है। जो उस समय की वास्तुकलाओं का अद्भूत नमूना है। यह विशाल मंदिर उस रास्ते से आने जाने वालों का ध्यान आकर्षित करता है। जो व्यक्ति इस मंदिर के पास आकर याचना करता है। उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
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कई और प्राचीन मूर्तियां
कोंच की धरती पर शिव के अनेकों रूप में आकर्षकमूर्तियां उपलब्ध है। उसमें सहस्त्रलिंग महादेव, अष्टभुजाधारी महादेव, एक हीं पत्थर में समाहित शिव पार्वती की मूर्तियां हैं। और भी कई देवी देवताओं की मूर्तिया कोंच में देखने को मिलते हैं।
शिव पार्वती विवाहोत्सव
विशेषकर सावन महीने में पूजा अर्चना को लेकर यहां का माहौल कुछ और ही होता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु औरंगाबाद जिले के देवहरा नदी से शुद्ध जल लेकर करीब 20 किमी की दूरी पैदल तय कर यहां जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि पर्व पर गांव के लोगों को लेकर बनी कमेटी मंदिर को सजाते हैं। दर्जनों गांव के लोग शिव पार्वती विवाहोत्सव में भाग लेते हैं।
कहते हैं सचिव
सांस्कृतिक चेतना समिति कोंचेश्वर नाथ के सचिव रामाधार शर्मा ने बताया कि मंदिर के जीर्णोद्धार कराने के लिए सासद व अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा बराबर आश्वासन मिलता रहा। परंतु जीर्णोद्धार नहीं हो सका।