गया के टंडवा गांव पहुंचा 15 हाथियों का दल, ग्रामीणों में मचा त्राहिमाम
जिले के शेरघाटी से होते हुए गुरुवार को हाथियों का झुण्ड डोभी के टंडवां गांव पंहुच गया है। हाथियों के घुस आने से आस-पास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई है। हाथियों के झुण्ड में चार हाथी के बच्चे समेत कुल 14 हाथी हैं।
गया। जिले के शेरघाटी से होते हुए गुरुवार को हाथियों का झुण्ड डोभी के टंडवां गांव पंहुच गया है। हाथियों के घुस आने से आस-पास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई है। हाथियों के झुण्ड में चार हाथी के बच्चे समेत कुल 14 हाथी हैं।
हाथियों के झुण्ड ने गांव में घुसते ही उत्पात मचाना शुरू कर दिया है। हाथियों ने खेतों में लगे गेंहू और सरसों के फसल को नष्ट कर दिया है। ग्रामीण डर के मारे घर के अंदर छुपे हुए हैं। कब हाथियों का झुंड खेतों को छोड़कर गांव में घुस आएगा और कितनों की जान पर आफत आएगी? इस भय से लोग घरों में बंद हो गए हैं।
हालांकि वन विभाग की टीम और पुलिस की टीम मौके पर मौजूद है। ग्रामींणों को समझाने और भयमुक्त रहने को कहा जा रहा है। गया डी एफ ओ, डोभी बी डी ओ, सी ओ और थानाप्रभारी सहित कई आला अधिकारी भी उपस्थित है। इन हाथियों को हटाने के लिए बांकुड़ा से एक टीम को बुलाया गया है।डी एफ ओ ने बताया की शाम होते ही इनलोगो के द्वारा हटाने का कार्य किया जायेगा।
इससे पहले ही गया के शेरघाटी प्रखण्ड के दक्षिण में नवादा सिमरेहट पहाड़ी के तलहटी में बसे सलइया गांव में हाथियों का झुण्ड बुधवार के शाम लगभग 7 बजे प्रवेश कर गया था जिससे ग्रामीणों में भगदड़ मच गई थी। ग्रामीणों ने इसकी सूचना स्थानीय थाना व वन विभाग को दी थी । हाथियों के भय से पूरे गांव के लोग अपने- अपने घरों में दुबके रहे। सभी हाथियों के भागने का इंतेजार कर रहे थे।
हाथियों के आतंक के कारण इस इलाके के लोग भय के माहौल में जीने को विवश हैं। अचानक से हाथी ग्रामीण इलाके में घुस आ रहे हैं और खेतों में लह-लहा रही फसल को समूल नष्ट कर दे रहे हैं।
हाथियों के उत्पात से बचाने के लिए विशेष टीम का गठन
राज्य सरकार ने कहा था कि जंगली हाथियों के उत्पात से बचाने के लिए बिहार में विशेष टीम का गठन होगा। आसपास के राज्य भी भरपूर सहयोग देंगे। केन्द्र सरकार टीम को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित करने कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगी।
जंगली हाथियों के आने वाले क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने एवं बचाव के उपाय बताए जाएंगे। हाथियों के रखने के लिए नेपाल सीमा से सटे चंपारण में हाथी रेस्क्यू सेंटर खोला जायेगा। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अपर वन महानिदेशक विनोद रंजन एवं गज परियोजना के वन महानिदेशक आरके श्रीवास्ताव ने मंगलवार को ईस्टर्न रिजन के राज्यों के साथ 'एक राज्य से दूसरे राज्यों में जंगली हाथियों के आने के बाद उत्पन्न समस्या' विषय पर आयोजित बैठक के बाद कही। भारत सरकार के अधिकारियों के कहा कि जंगली हाथियों के लिए कोई सीमा नहीं होती है। वे नेपाल, म्यांमार, बिहार, झारखंड, ओडिसा सहित देश के किसी भी हिस्से में जा सकते हैं। वे भ्रमणशील जीव हैं। ये हमेशा बिहार आते रहेंगे। उन्होंने कहा, बिहार में पहली बार जंगली हाथियों के ग्रामीण क्षेत्रों में आने की घटना हुई है। लोगों को हाथियों के साथ रहना सीखना होगा। छतीसगढ़ में पंचायत स्तर पर टीम का गठन किया गया है। उसी तर्ज पर बिहार में भी टीम गठित होगी। बिहार में जंगली हाथी के आने के बाद निपटने के लिए बिहार, झारखंड, ओडिसा और पश्चिम बंगाल का एक कॉडिनेशन कमेटी बनाई गई है। एक दूसरे को सहयोग देंगे। राज्य के मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक एसएस चौधरी ने कहा कि मार्च 2015 से जंगली हाथियों का बिहार में उत्पात शुरू हुआ है। नौ बार जंगली हाथी बिहार में आए। छह बार में 21 लोगों की जानें गई। अधिकांश लोगों की मृत्यु हाथियों के प्रति भक्ति भावना तथा छेड़छाड़ करने के चलते हुई। बैठक में तय हो गया बिहार में हाथी के आने के बाद झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिसा सहयोग करेंगे। मानव और वन्य प्राणी टकराव को रोकने के लिए पांच रेस्क्यू टीमों का गठन किया जायेगा। मुख्यालय पटना, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, गया, बेतिया में रेस्क्यू टीमें रहेंगी।