Move to Jagran APP

देश में रक्षाबंधन, भाई तो था सीमा पर

गया। जब हम बैठे थे घरों में वे झेल रहे थे गोली..। देशभक्ति के जुनून से भरा यह गीत सिर्फ एक गीत भर

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Jul 2017 08:55 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jul 2017 08:55 PM (IST)
देश में रक्षाबंधन, भाई तो था सीमा पर
देश में रक्षाबंधन, भाई तो था सीमा पर

गया। जब हम बैठे थे घरों में वे झेल रहे थे गोली..। देशभक्ति के जुनून से भरा यह गीत सिर्फ एक गीत भर नहीं, हमारी सेना का सच है। वे जवान हमारे बीच के हैं, हमारे घर के हैं। सेना की नौकरी से सेवानिवृत्त होकर अब परिवार के साथ रह रहे रवींद्र मिस्त्री वह किस्सा सुनाते हैं, जब जवान सरहद पर कारगिल का युद्ध लड़ रहे थे। उसी समय रक्षाबंधन भी था।

loksabha election banner

----------------

सरहद छोड़ कैसे आते रक्षाबंधन पर

रवींद्र मिस्त्री ने 27 नवंबर 1982 को सेना में एक जवान के तौर पर योगदान दिया और 22 सालों की नौकरी के बाद 2004 में नायक के पद से सेवानिवृत्त होकर घर लौटे। वे बताते हैं, पर्व-त्योहार पर भी हम घर से दूर होते थे। सबसे ज्यादा समय कारगिल में रहे। कारगिल की लड़ाई चल रही थी। उसी समय रक्षाबंधन का त्योहार भी आया, लेकिन हम सरहद छोड़कर कैसे आते। बस, रक्षाबंधन याद आया, बहन याद आई, घर-परिवार याद आया। सामने तो दुश्मन थे और हमारे सामने अपने देश की आन-बान की हिफाजत की चुनौती थी। कारगिल युद्ध में विजयी भारतीय सेना में शामिल रहे रवींद्र को सरकार ने मेडल देकर सम्मानित किया था।

--------------

रहता है राखी का इंतजार

वे बताते हैं, पर्व-त्योहार में घरवालों की याद आती थी। चिट्ठी का इंतजार रहता था। रक्षाबंधन से पहले बहन के लिफाफे का तो महीना भर से इंतजार रहता था। बहन की राखी देख आंखों में आंसू छलक आते थे। सरहद पर रहने वाले हम जैसे सैनिकों को घर से आने वाली राखी का विशेष इंतजार आज भी रहता है। रक्षाबंधन के दिन जवान एक-दूसरे की कलाई पर राखी बाध दिया करते थे।

------------

झूम उठते थे खुशी से

वे कहते हैं, राखी वाली चिट्ठी का इंतजार हर जवान को रहता था। हमलोग रक्षाबंधन में घरों पर होने वाली हर बात की चर्चा करते थकते नहीं थे। उस समय बहुत निराश होते थे, जब कभी राखी नहीं पहुंच पाती थी। इसे पूरा करते थे धर्मगुरु। वे मंत्रोच्चारण के साथ प्रत्येक जवान की कलाई पर राखी बांधते। सीमा पर तैनात प्रत्येक जवान की कलाई पर रक्षा सूत्र का प्रतीक राखी बांधी जाती थी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.