Move to Jagran APP

नीरू कर रही इंतजार, भाई ने किया है आने का वादा

गया। नीरू इस साल भी अपने भाई का इंतजार कर रही है। भाई ने वादा किया है, रक्षाबंधन पर जरूर आएगा। वैसे,

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Jul 2017 09:10 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jul 2017 09:10 PM (IST)
नीरू कर रही इंतजार, भाई ने किया है आने का वादा
नीरू कर रही इंतजार, भाई ने किया है आने का वादा

गया। नीरू इस साल भी अपने भाई का इंतजार कर रही है। भाई ने वादा किया है, रक्षाबंधन पर जरूर आएगा। वैसे, दो भाइयों की इस इकलौती बहन को पता है कि सेना के एक जवान की जिंदगी और ड्यूटी क्या होती है। हां, उनकी मां का दिल चीन और पाकिस्तान के साथ तनातनी की बातें सुन धड़क उठता है। वे कहती हैं-आखिर मां हूं.., पर बेटे देश के लिए ड्यूटी कर रहे हैं, यह सोच दिल को कठोर कर लेती हूं। नीरू भी यह समझती है, पर कहती है-सेना के एक जवान के लिए क्या पर्व, क्या त्योहार। फौजी परिवार की हूं, इसलिए ज्यादा नहीं सोचती। हां, इस मायने में भाग्यशाली हूं कि रक्षाबंधन पर कोई न कोई भाई आ ही जाता है।

loksabha election banner

---------------

दोनों भाई फौज में

टिकारी प्रखंड की लाव पंचायत का एक छोटा सा गाव पंचमहला। यहीं एक साधारण किसान श्रीकात शर्मा के दोनों बेटे देश की सेवा कर रहे। बड़ा बेटा राजीव आर्मी में सिग्नल कोर में जम्मू के बाद दिल्ली में तीन माह का प्रशिक्षण लेकर अब देश से बाहर सूडान में ड्यूटी पर है। छोटा बेटा अमित देश के सबसे दुर्गम सैनिक पोस्ट लेह में तैनात है। पूरे परिवार को अपने लाल पर नाज है।

--------------

दुख है राखी नहीं भेज पाने का

नीरू थोड़ी उदास भी है। एक भाई को इस साल राखी नहीं भेज पाई हैं। वे कहती हैं, दस साल से कोई-न-कोई एक भाई रक्षाबंधन में आ ही जाता है। इस बार विदेश में डूयटी लग गई है, पत्राचार का पता नहीं होने के कारण राखी नहीं भेज पाई हूं। हां, छोटे भाई अमित ने वादा किया है कि वह आ जाएगा। इंतजार है।

-------------

परिवार की सोच भी सेना जैसी

नीरू कहती हैं, मेरे दोनों भाई सेना में है। पति मुकेश कुमार भी सेना में और देवर राजेश कुमार भी। इसलिए सेना की जिंदगी से वाकिफ हूं। हमारे परिवार के सदस्य सेना में होते हैं तो हमारी भी सोच वैसी ही हो जाती है। वे देश की हिफाजत में घर-परिवार से दूर ड्यूटी पर होते हैं, हम भी तो उनसे दूर ही हैं। हमारे लिए भी तो पर्व-त्योहार उनके बिना ही आते हैं। नीरू की आंखें छलछला उठती हैं..एक सैनिक की बहन, एक सैनिक की पत्नी और एक सैनिक की भाभी होने के नाते इसे अच्छी तरह समझती हूं कि फौज के लिए देश ही सबसे बड़ा त्योहार है। मेरी दोनों भाभी रिंकी देवी और रेशमी कुमारी की भी यही सोच है। उनके भी तो पति उनसे दूर हैं। किसी भी सैनिक का परिवार देश सर्वोपरि की सोच के साथ जीना सीख लेता है।

--------------

फूट पड़ती है मां की ममता

एक मां की ममता फूट पड़ती है। पास बैठीं शकुंतला देवी भरे गले से कहती हैं-बच्चा है हमारा। पता है देश की सुरक्षा में गया है, फिर भी मां हूं न। पर्व-त्योहार में बच्चों के नहीं होने पर मन उदास तो हो ही जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.