जय जगन्नाथ के नारों के साथ निकली भगवान की रथयात्रा
गया। आषाढ़ शुक्ल पक्ष के पहले दिन बोधगया की पावन भूमि पर चहुंओर जय जगन्नाथ गूंज उठा। यह अवसर बोधग
गया। आषाढ़ शुक्ल पक्ष के पहले दिन बोधगया की पावन भूमि पर चहुंओर जय जगन्नाथ गूंज उठा। यह अवसर बोधगया में रविवार को पांचवीं बार भगवान श्री जगन्नाथ रथ यात्रा का था। भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा धूमधाम से नगर भ्रमण को निकली।
इसके पहले रविवार की सुबह श्री पुरी से आए आचार्यों के सानिध्य में भगवान की प्रतिमा का विशेष पूजा-अर्चना किया गया। नए परिधान से आवरण कर तीनों प्रतिमा को बाहर निकाला गया। जिसे रथ पर विराजमान कराकर पुन: पूजा-आरती की गई। और फिर शुरू हुआ यात्रा।
पूर्व से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार रथ यात्रा जगन्नाथ मंदिर से निकलकर कालचक्र मैदान, महाबोधि गोलंबर, थाई मंदिर से वापस होकर गोदाम रोड, बजरंग मोड़ होते हुए पचहटी-राजापुर तक गई। वापस रथयात्रा निरंजना नदी के पश्चिमी तट पर बनाए गए पीसीसी पथ मार्ग से होकर आदि शंकराचार्य मठ के पूर्वी द्वार से मठ परिसर में प्रवेश की। यहां महंथ रमेश गिरि ने रथ यात्रा में शामिल साधू-संतों की आगवानी की। यहां यह बता दें कि भगवान श्री जगन्नाथ, भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा का रात्रि विश्राम मठ के ठाकुरबाड़ी में होगा। सोमवार को पावड़ा यात्रा के तहत भगवान की वापसी जगन्नाथ मंदिर में होगी।
रथ यात्रा जिस मार्ग से गुजरा श्रद्धालुओं का कारवां बढ़ता गया। हर कोई रथ से जुड़े रस्सी को खिंचने को बेताब थे। श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह पर शीतल पेयजल की व्यवस्था की गई थी। रथ की रस्सी को खिंचने में नगर पंचायत अध्यक्ष, उपाध्यक्ष मनोरमा देवी, पार्षदगण व शहर व दूर-दराज से आए श्रद्धालु शामिल रहे। विशेष पूजा-अर्चना के में साहित्यकार गोवर्द्धन प्रसाद सदय, अध्यक्ष उषा डालमिया, सचिव राय मदन किशोर सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे। रथयात्रा के लिए निर्धारित मार्ग पर यातायात व्यवस्था की कमान यातायात थाना प्रभारी संजय कुमार संभाले थे। रथयात्रा में बैंड बाजे के धुन पर श्रद्धालु थिरक रहे थे।