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जिले के 24 प्रखंडों में 18 फीसदी धान की रोपनी

गया। इन दिनों जिले के 24 प्रखंडों में उत्सव का माहौल देखा जा रहा है। ग्रामीण अपने-अपने खेतों में धान

By Edited By: Published: Sat, 23 Jul 2016 08:37 PM (IST)Updated: Sat, 23 Jul 2016 08:37 PM (IST)

गया। इन दिनों जिले के 24 प्रखंडों में उत्सव का माहौल देखा जा रहा है। ग्रामीण अपने-अपने खेतों में धान की रोपनी करने के लिए उतरे हैं। रोपनी के कार्य में विशेष रूप से महिलाओं को लगाया गया है। जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय के आंकड़ा पर गौर करें तो अब तक 18 फीसदी धान की रोपनी हुई है। इस आंकड़ा में प्रत्येक दिन तेजी से वृद्धि हो रही है। सब लोग अन्य काम को छोड़कर गांव में धान की रोपनी कराने में जुट गए हैं। ताकि धान की अच्छी पैदावार हो सके।

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गया जिले के 24 प्रखंडों के 332 पंचायत में धान की बुआई परवान पर है। कहीं श्रीविधि से तो कहीं सामान्य तरीके से धान की बुआई हो रही है। आषाढ और सावन महीने में हुई मूसलाधार बारिश के बाद खेतों में जान डाल दी है। इन महीने में धान का पौधा तैयार हो गया है। उन पौधा को उखाड़ कर एक या दो पौधा को सामान्य रूप से लगाया जा रहा है। जो निश्चित तौर पर कठिन कार्य है। इस कार्य को महिलाएं ही कर सकती है। इस वजह उन्हें ही रोपनी में लगाया जाता है।

कृषि विभाग ने जिले के 24 प्रखंडों में 1 लाख 65 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की फसल लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए शत-प्रतिशत धान का बिचड़ा डाला गया है। इस बार मानसून ने भी किसानों का साथ दिया है। खेतों में पानी है। इसी का लाभ उठाकर बहुत तेजी से धान की रोपनी कर रहे हैं।

इधर पूछे जाने पर जिला कृषि पदाधिकारी सुदामा महतो कहना है कि अभी तक 18 फीसदी धान का रोपनी हो पाया है। प्रत्येक दिन इस आंकड़ा में इजाफा हो रहा है। अगले 15 से 20 दिनों में शत-प्रतिशत रोपनी हो जाने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि अनुमान के अनुसार इस वर्ष अच्छी बारिश हुई है। खेतों में पानी की कोई कमी नहीं है। खेती कराने के लिए स्थानीय स्तर पर विभागीय अधिकारी व कृषि वैज्ञानिकों को लगाया गया है। उनके देखरेख में श्रीविधि से धान लगाया जा रहा है। गत वर्ष कम बारिश को ध्यान में रखकर इस बार सूखा रोधक धान का प्रभेद सहभागी को भी प्रयोग किया है। यह प्रभेद कम बारिश में भी अच्छी पैदावार देती है। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया है।


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