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करूणा ने कहा- मैं दांगी थी, हैं, और रहेंगी

गया। जिला परिषद के निर्वाचन क्षेत्र संख्या-25 (गुरूआ) से निर्वाचित पार्षद करूणा कुमारी ने स्पष्ट शब्

By Edited By: Published: Fri, 01 Jul 2016 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jul 2016 09:18 PM (IST)
करूणा ने कहा- मैं दांगी थी, हैं, और रहेंगी

गया। जिला परिषद के निर्वाचन क्षेत्र संख्या-25 (गुरूआ) से निर्वाचित पार्षद करूणा कुमारी ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मैं दांगी थी, है, और रहेंगी। कुछ लोग बेवजह मुझे और मेरे परिवार को बदनाम कर रहे हैं। मेरे पास जो जाति प्रमाण पत्र है। उस समय से कई शिक्षण संस्थान एवं अन्य कार्यालय में दांगी जाति के प्रमाण पत्र पर जमा किए हैं। उस समय दांगी जाति को पिछड़ा में रखा था। जिसका लाभ मिला था। उन्होंने बताया कि जाति प्रमाण पत्र वर्ष 2009 में ही बनाया गया था। यह प्रमाण पत्र प्रखंड विकास पदाधिकारी गुरूआ के ज्ञापांक 2120 दिनांक 2 दिसम्बर 2009 में निर्गत किया गया था। जिस पर पंचायत सचिव राजेंद्र शर्मा के अनुशंसा पर करूणा कुमारी पति अमित कुमार, गांव श्रीराम बिगहा, पंचायत गुरूआ वार्ड संख्या 09 के निवासी अंकित है। उस पंचायत सचिव ने करूणा को दांगी जाति होने का अभिप्रमाणित किया है। उसके बाद बीडीओ उन्हें दांगी जाति का प्रमाण पत्र निर्गत किया है। दूसरी ओर अनुमंडल कार्यालय शेरघाटी के प्रमाण पत्र संख्या 2077 दिनांक 13 मार्च 2012 में भी करूणा को दांगी जाति बताया गया है। उस समय दांगी को राज्य सरकार की सूची में अनुक्रमांक 37 में अंकित था। उस वक्त दांगी जाति को राज्य सरकार ने अति पिछड़ा में शामिल नहीं किया गया था। जबकि सरकार ने इस जाति को वर्ष 2015 में अति पिछड़ा में शामिल किया था।

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इधर करूणा के पति अमित, समाजसेवी संतोष कुमार एवं विनय कुमार ने पत्रकारों को बताया कि जो करूणा के बारे में निर्वाचन आयोग के पास 23 जून 16 को शिकायत किया गया है। उस संलग्न जाति प्रमाण पत्र वजीरगंज अंचल कार्यालय से 30 जून को निर्गत किया गया है। यानि शिकायत के समय आवेदन ने आयोग को जाति प्रमाण पत्र उपलब्ध नहीं कराया। बिना प्रमाण पत्र देखे आयोग ने जांच के लिए डीएम को पत्र भेज दिया। इससे स्पष्ट है कि करूणा को जिला परिषद अध्यक्ष पद के प्रत्याशी से हटाने, समाज को बदनाम करने और नवनिर्वाचित पार्षदों को दिग्भ्रमित करने की साजिश रचा गया है। एक पार्टी के नेता व पूर्व मंत्री इस तरह का साजिश रच रहे हैं। ऐसे मामले को जिला परिषद अध्यक्ष के चुनाव के बाद न्यायालय ले जाएंगे। और जो शिकायतकत्र्ता हैं उन पर सही प्रमाण पत्र को गलत प्रमाण पत्र बताना और एक महिला को बदनाम करने की प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि करूणा का गलत प्रमाण पत्र था। जिस समय चुनाव के लिए पर्चा भरा गया था। उस पर्चा का एसडीओ ने संवीक्षा किए थे। संवीक्षा में ही पर्चा को रद्द कर सकते थे। परन्तु सही प्रमाण पत्र था तभी ना उसे चुनाव लड़ने की अनुमति निर्वाची पदाधिकारी ने दी। इससे स्पष्ट है कि विरोधियों की मंशा क्या हैं? इसका जल्द ही पर्दाफाश करेंगे।


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