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गया:::श्री लखनजी के ध्यानार्थ:::: वाउ! इंडिया इज ग्रेट

पृष्ठ-3 फोटो- 16जेपीजी में विदेशियों की नजर में भारतीय संस्कृति अजूबा कहा-अनेकता में एकता दिखा द

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 04:08 PM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 04:08 PM (IST)

पृष्ठ-3 फोटो- 16जेपीजी में

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विदेशियों की नजर में भारतीय संस्कृति अजूबा

कहा-अनेकता में एकता दिखा दशहरा-मुहर्रम पर्व में

पर्यटन की दृष्टिकोण से बढ़ावा की जरूरत

विनय कुमार मिश्र, बोधगया (गया):

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भारत की सभ्यता और संस्कृति अनूठी है। जो बरबस ही विदेशी पर्यटकों को यहां खींच लाती है। और फिर जब उन्हें भारतीय संस्कृति की जानकारी प्राप्त प्राप्त होती है। तब उनकी जिज्ञासा जागृत होती है। जब उन्हें पूरी जानकारी मिल जाती है तो उनके मुख से अनायास ही निकल पड़ता है- 'वाउ! इंडिया इज ग्रेट'। पर्व-त्योहार के मौके पर विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति से रूबरू कराने के लिए सरकार की ओर से पहल करने की जरूरत हैं। अगर ऐसा हुआ तो पर्यटन क्षेत्र से इलाके के साथ-साथ राज्य व देश को आर्थिक मोर्चे पर काफी फायदा हो सकता हैं।

इन दिनों अंतरराष्ट्रीय पर्यटक स्थल बोधगया आए विदेशी पर्यटकों की जिज्ञासा भारतीय संस्कृति को लेकर देखने को मिल रही है। पहले दशहरा पर्व को देखा और अब वो मुहर्रम पर्व को देख रहे हैं। बात इतनी ही नहीं, देख तो रहे हैं साथ ही उस माहौल को अपने कैमरे में कैद कर उसे प्रसारित भी कर रहे हैं। विदेशी पर्यटकों के ऐसे पर्व त्योहार के माहौल को कैमरे में कैद करना और उसे अपने देश में दोस्तों व परिजनों के बीच प्रसारित करने से निश्चय ही भविष्य में पर्यटन को एक नया आयाम मिलने की संभावना प्रबल हो गई है।

आस्ट्रिया से आयी सबरिना कहती है कि यहां वह अपने मित्र द्वारा संचालित एक एनजीओ में काम करने आयी थी। इसी बीच दुर्गापूजा और मुहर्रम पर्व आ गया। दोनों पर्व के महत्व और इसमें क्या-क्या होता है? इसकी जानकारी एनजीओ संचालक से ली। दोनों पर्व को देखने को ललायित थी। अब दशहरा को देख ली और मुहर्रम को देख रही है। दशहरा पर्व सचमुच में अजूबा है। कई जगहों पर मां दुर्गा की प्रतिमा को देखी। लेकिन ध्वनि प्रदूषण से थोड़ी मायूसी हाथ लगी। सबसे आश्चर्य तो यह कि दुर्गा की प्रतिमा का कुछ दिन में ही निर्माण करना, तीन-चार दिन रखकर पूजा करना और फिर इतनी बेहतरीन प्रतिमा को पानी में विसर्जित करना। यह परंपरा है। लेकिन यह उसके जीवन के लिए यादगार बन गया। मुहर्रम में सुन्दर-सुन्दर ताजिया देखी। लेकिन इस पर्व में भी ध्वनि प्रदूषण पीछा नहीं छोड़ा। वो कहती है कि हमें दीपावली अच्छा लगता है। ध्वनि प्रदूषण के सवाल पर कहती है दीपावली में ध्वनि प्रदूषण क्षणिक होता है।

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फोटो- 09जेपीजी में

कहते हैं:- होटल एसोसिएशन बोधगया के महासचिव संजय सिंह कहते हैं कि बोधगया में भी हर पर्व में विदेशी पर्यटक आ सकते हैं। बशर्ते कोई भी पर्व को सामूहिक रूप से प्लान के तहत आयोजित किया जाए। जैसा देश के मेट्रो सिटी में होता है। उन्होंने कहा कि विदेशी पर्यटक तो हमारी संस्कृति के कायल होते हैं।


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