शोभा की वास्तु बनी जल मीनार
गया। सूबे में सुशासन बाली सरकार के दस एक दशक बाद गुरुआ के लोगों का कुछ सपना अधूरा रह गया है। यहां के
गया। सूबे में सुशासन बाली सरकार के दस एक दशक बाद गुरुआ के लोगों का कुछ सपना अधूरा रह गया है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या कोई नई बात नहीं है। इसलिए 24 नवम्बर को सुशासन वाली सरकार बनने के तुरंत बाद 12 जनवरी 2006 को सूबे के तत्कालीन पीएचडी डा. प्रेम कुमार द्वारा आनन फानन गुरुआ प्रखंड सह अंचल कार्यालय परिसर में ग्रामीण जलापूर्ती केंद्र का आधारशिला रखें थे। जिससे पूरा गुरुआ के लोगों में ऐसा लगा कि अब बिहार में विकास की गाड़ी तेज दंड़ेगी। जलमीनार के शिलान्यास के बाद उसमें काम भी बहुत तेजी से हुए। गुरुआ पंचायत के सभी गांव में मात्र एक दो वर्षो में पाइप लाइन का भी काम पूरा हो गया हैं। इसमें सरकार को करीब एक करोड़ से अधिक राशि खर्च हुआ है। अधिकाश जगहों पर पाइप खराब भी हो चुकी है। किन्तु जलमीनार से एक बूंद पानी नहीं निकला है उसके बाद से गुरूआ के लोग दो वार सासद और बिधायक की चुनाव किया है। मगर किसी ने व्यवसायियो की समस्या की ओर मुड़कर देखना मुनासिब नहीं समझे है। गुरुआ बीडीओ बलबंत कुमार पाडेय ने बताया की जलमीनार बनकर तैयार तो जरूर हैं किन्तु इससे पानी लेने के लिए कोई कनेक्शन नहीं लिया है इसलिए जलमीनार बंद हैं कुछ गांव में पाइप लाइन खराब हो गया है उसको सुधारने के काम चल रहा है इसके बाद चालू किया जा सकता हैं।