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नगर निगम में वार्ड नंबर 54 फिर सुर्खियों में आया

गया। गया नगर निगम में वार्ड नंबर 54 का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया। बताना लाजिमी होगा। इ

By Edited By: Published: Thu, 05 May 2016 08:41 PM (IST)Updated: Thu, 05 May 2016 08:41 PM (IST)

गया। गया नगर निगम में वार्ड नंबर 54 का मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया। बताना लाजिमी होगा। इसके पहले इसी वर्ष फरवरी महीने में 'दैनिक जागरण' ने 15 तारीख को गया संस्करण के पृष्ठ संख्या-3 पर वार्ड नंबर 54 के गठन का मामला प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अब यह मामला राज्य निर्वाचन आयोग से होते हुए जिला पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी कुमार रवि के संज्ञान में भी आ गया है।

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शिकायत के बाद आयोग ने लिया संज्ञान

ओम प्रकाश प्रसाद नामक एक व्यक्ति ने इस मामले को आयोग के समक्ष रख कर यह जानना चाहा कि जब गया नगर निगम में कुल 53 वार्ड हैं। तो निगम क्षेत्र के सामाजिक, आर्थिक व जाति जनगणना (एसइसीसी-2011) के फाइनल लिस्ट अर्बन में वार्ड कोड नंबर 0054 यानि वार्ड नंबर 54 कहां से आ गया। शिकायतकर्ता श्री प्रसाद ने ऐसा करने के पीछे रहे लोगों के विरूद्ध कानूनी कार्रवाई करने की मांग आयोग से की थी।

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डीएम के पास पहुंचा आयोग का पत्र

उक्त शिकायत के आलोक में राज्य निर्वाचन आयोग के उपसचिव ने इस मामले की जांच के लिए जिला पदाधिकारी सह निर्वाचन पदाधिकारी को शिकायतकर्ता के आवेदन के साथ उन्होंने एक पत्र निर्गत किया। जिसमें कहा गया है कि श्री प्रसाद द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं की जांच कर आयोग को प्रतिवेदन उपलब्ध कराएं।

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डीएम ने नगर आयुक्त को अवगत कराया

इस आशय से संबंधित आयोग के उपसचिव का पत्र डीएम के यहां से नगर आयुक्त के पास पहुंचा। पत्र के साथ शिकायतकर्ता का आवेदन भी संलग्न है। उपसचिव का कहना है कि शिकायतकर्ता द्वारा उठाए गए बिंदुओं की जांच करते हुए प्रतिवेदन उन्हें उपलब्ध कराया जाए।

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सहायक अभियंता को स्पष्ट करने का निर्देश

नगर आयुक्त विजय कुमार ने पूरे मामले को सहायक अभियंता शैलेन्द्र कुमार सिन्हा के पास भेज दिया। जिसमें उन्होंने श्री सिन्हा को पूरी स्थिति से स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।

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पत्र पहुंचते ही मची हलचल

वार्ड नंबर 54 से संबंधित मामले से जुड़े पत्र को लेकर गुरूवार को नगर निगम में हलचल पैदा कर दिया। इस मसले पर चर्चा भी होने लगी कि आखिर किसकी गलती के कारण ऐसा हो गया। जनगणना से जुड़े पदाधिकारी व कर्मचारी यह चर्चा करते सुने गए कि इसमें निगम का कोई दोष नहीं। बहरहाल, इसको लेकर निगम में तरह-तरह की चर्चा होती रही।


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