कुरमावा के लिए धरधरी वरदान और अभिशाप
गया। झारखण्ड से निकलने वाली धरधरी नदी कुरमावा के लिए वरदान के साथ-साथ अभिशाप साबित होती हैं। इस नदी
गया। झारखण्ड से निकलने वाली धरधरी नदी कुरमावा के लिए वरदान के साथ-साथ अभिशाप साबित होती हैं। इस नदी से जहा सैकडो एकड़ पटवन होता है वही कुरमावा गाव को चार-पाच महीने से लिए दो भागो मे बाट देता है। एक ही गाव के लोग दो भाग मे बंट जाते है। बरसात के दिनों मे पानी के तेज बहाव के कारण कई घर इसके चपेट मे आ जाता है जिसके कारण भारी जान-माल का नुकसान प्रत्येक वर्ष होता है। नदी के दोनो छोर से मिटटी की कटाई होते रहने के कारण नदी की रूप-रेखा बढ गया है। बरसात के दिनों मे इसके पानी के कारण एक-दूसरे छोर से संपर्क टूट जाता है। एक-दूसरे तरफ जाने के लिए चार-पाच किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद पहुंचते है लोग। गर्मी के दिनों मे आस-पास के लोगो को नदी मे बर्तन साफ करते और कपडा धोने भी आसानी होता है।
कहते है ग्रामीण: गाव के ग्रामीण टूटू सिंहा नदी के जल धारा से नदी के दोनो छोर पर मिट्टी का कटाव बहुत ज्यादा हो रहा है। जो गाव के लिए एक विकराल समस्या खडा हो रहा है। नदी से हम लोग को काफी फायदा है। सिर्फ बरसात के मौसम मे छोड कर इस नदी से कोई नुकसान नही है। नदी किनारे वृक्षारोपण होना चाहिए। साल के चार-पाच महीने गाव के एक-दूसरे छोर के लोगो से संपर्क टूट जाता है।
कहते है प्रखण्ड प्रमुख: डोभी प्रखण्ड प्रमुख राजीव रंजन उर्फ राजू दास का गाव कुरमावा के इस नदी के बारे मे कहते है की 5 वर्श पहले इस पर जिला पार्षद कोट से एक छोटी पुलिया बनाया था। जिसे पिछले बार नदी मे काफी पानी आने के कारण ग्रामीणों को काफी क्षति हुआ । जिसके आक्त्रेाष मे पुलिया को तोड दिया गया। इस संदर्भ मे बिहार सरकार से कई बार इस नदी पर पूल बनाने की बात कह चुके है साथ ही पत्राचार भी किया गया है।