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पितृपक्ष मेला चल पड़ा अवसान की ओर

गया। विश्व प्रसिद्ध राजकीय पितृपक्ष मेला एक पखवारा तक चलने के बाद अब अवसान की ओर चल पड़ा है। ऐसे तो प

By Edited By: Published: Fri, 09 Oct 2015 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 09 Oct 2015 07:14 PM (IST)

गया। विश्व प्रसिद्ध राजकीय पितृपक्ष मेला एक पखवारा तक चलने के बाद अब अवसान की ओर चल पड़ा है। ऐसे तो पितृपक्ष मेला का समापन सोमवार को होगा। परंतु, शुक्रवार की सुबह से ही पिंड वेदियों पर पिंडदानियों की संख्या भी कम देखनें को मिलने लगी है। जो पिंडदानी अपने-अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए गयाजी आकर पिंडदान व तर्पण कर रहे है। वह भी अब गयाजी से जाने के लिए सामानों की पैकिंग करना शुरू कर दी। देवघाट पर सबसे ज्यादा पिंडदानियों की संख्या देखनों को मिलती थी। वहां पर भी शुक्रवार को दिन-भर बहुत ही कम पिंडदानियों को देखा गया। पिंडदानियों को अचानक गायब होते देख व्यापारी, पंडा व पंडितजी भी मायूस है। 12 अक्टूबर को पितृपक्ष मेला का समापन होगा। अब देखना है कि शनिवार, रविवार व सोमवार को गयाजी कितने पिंडदानी अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए आयेंगे। विष्णुपद परिसर में बने पंडाल में पितृपक्ष मेला महासंगम का समापन 12 अक्टूबर को होगा।

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तीन लाख ही पहुंचे पिंडदानी

इस साल अभी तक मात्र तीन लाख 10 हजार ही पिंडदानी गया आकर पिंडदान व तर्पण की। पंडा समाज व पंडितजी का कहना है कि 27 सितम्बर से शुरू हुए पितृपक्ष मेला महासंगम-2015 में 2014 की तुलना में इस साल उम्मीद के अनुसार बहुत ही कम पिंडदानी आए। इतना कम पिंडदानियों का अनुमान भी नहीं लगाया गया था।

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पिंडवेदियों पर कम दिखने लगे पिंडदानी

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विष्णुपद मंदिर परिसर में हर दिन की तुलना में पिंडदानियों की संख्या कम थी। इतना ही नहीं सीताकुंड, आदिगया, भीमगया, प्रेतशिला, रामशिला, काकबलि, गयाकूप, श्रीगया सिर, धौतपद सहित अन्य कई पिंडवेदियों पर पिंडदानी की संख्या कमी आ गई है। पिंडदानियों की संख्या में हुई कमी को देखकर सभी मायूस है।

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हटने लगा दुकान

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पितृपक्ष मेला की समाप्ति तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है। पिंडदानियों की कम संख्या को देखकर व्यापारी अपना सामान भी पैक करना शुरू कर दिए है। छोटे-बडे़ फुटपाथी दुकान अपना दुकान हटाने में लग गए है। चूड़ी व श्रृंगार व्यवसायी मुकेश कुमार ने कहा कि गुरूवार से ही पिंडदानियों की संख्या कम होने लगी है। दुकान हटाने के सिवा उनके पास और कोई चारा भी नहीं रह गया है।


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