अल्प अवधि में मनु महराज ने छोड़ी अपनी छाप
गया। 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी मनु महराज ने गया में पांच महीने के अल्प कार्यकाल में नागरिकों के बीच
गया। 2004 बैच के आईपीएस अधिकारी मनु महराज ने गया में पांच महीने के अल्प कार्यकाल में नागरिकों के बीच अलग पहचान बनाने में कामयाब रहे। जबकि श्री महराज को गया में खुलकर विभागीय कार्य करने नही दिया गया।
श्री महराज जब गया में योगदान किया। कुछ ही दिनों के बाद बाराचट्टी थाना क्षेत्र में एक कुख्यात नक्सली महिला कमांडर पुलिस मुठभेड़ में मारी गई। उक्त मुठभेड़ की प्रतिक्रिया में नक्सलियों ने जीटी रोड पर कई वाहनों को जला दिया। गया पुलिस मनु महराज के नेतृत्व में नक्सलियों को इलाके से काफी हद तक भागने को मजबूर कर दिया। जिसका परिणाम यह निकला कि आज नक्सलियों के हिट लिस्ट में मनु महराज का नाम सबसे ऊपर हैं।
आर्थिक अपराध के खिलाफ मनु महराज की कार्रवाई को विभाग के ही वरीय अधिकारी पचा नही पाए। श्री महराज के नेतृत्व में गया पुलिस ने नकली, सैम्पल दवा आदि के आरोप में जून माह में छापामारी कर अवैध दवा कारोबार करने वालों की नींद हराम कर दी। गया पुलिस की आर्थिक अपराध के खिलाफ शुरु की गई कार्रवाई आगे नही बढ़ी। क्योंकि विभाग के एक अधिकारी का समर्थन गया पुलिस को नही मिला। हेलमेट व दो पहिया वाहनों के खिलाफ पुलिस अभियान संचालित कर मनु महराज चर्चा में रहे। युवतियों व छात्राओं का सीधा संवाद मनु महराज का व्हाटसएप पर होता था। जिससे गया पुलिस को यह जानकारी मिलने लगी थी कि किस इलाके में छात्राओं के साथ छेड़खानी या अन्य घटनाएं होती है। आज मनु महराज गया से चले गए। लेकिन दोपहिया चालकों को हेलमेट पहनना सीखा गए। अपराध होगा। लेकिन घटना के बाद कांड के उद्भेदन में दिन-रात एक करने वाले अधिकारियों में मनु महराज याद किए जाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 9 अगस्त की ऐतिहासिक सभा को सफलता पूर्वक शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराने की चुनौती गया पुलिस को थी। जिस तरह से सुरक्षा के नाम पर विभागीय अधिकारी का निदेश गया पुलिस को प्राप्त हो रहा था। अगर उस निदेश का अनुपालन किया गया होता तो शायद गया में पीएम मोदी की सभा हो नही पाती। लेकिन एसएसपी श्री महराज ने विभागीय अधिकारी के निदेश को ज्यादा महत्व न देते हुए जो सही लगा उसे एसपीजी को विश्वास में लेकर क्रियान्वित किया। परिणाम सामने है। पीएम की सभा बगैर किसी अप्रिय घटना के सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। एसएसपी श्री महराज ने गया से जाते वक्त स्वीकार किया कि उन्हें गया में खुलकर कार्य करने नही दिया गया। लेकिन श्री महराज की योग्यता, इमानदारी, पारदर्शिता एवं निष्पक्षता काम आई। राज्य सरकार ने मनु महराज में विश्वास रखते हुए पुन: पटना का एसएसपी बनाकर पुरस्कृत किया।