गया: राजू खान की गिरफ्तारी को ले सक्रिय हुई पुलिस
जागरण संवाददाता, गया: इंट्री माफिया गिरोह के सरगना के रूप में गया पुलिस द्वारा चिन्हित राजू खान क
जागरण संवाददाता, गया: इंट्री माफिया गिरोह के सरगना के रूप में गया पुलिस द्वारा चिन्हित राजू खान की गिरफ्तारी को लेकर एसआईटी की सक्रियता बढ़ गई है। राजू पर फर्जी कागजात पर प्रति दिन सैकड़ो की संख्या में वाहनों को बगैर समुचित टैक्स दिए समेकित जांच चौकी, डोभी से पार कराने का आरोप है। जिससे प्रत्येक वर्ष कम से कम एक अरब 20 करोड़ रुपया का नुकसान राज्य सरकार को उठाना पड़ रहा है।
श्री शालिन ने संगठित अपराध के खिलाफ डीआईजी के पद पर योगदान देते ही मोर्चा खोल दिया है। डीआईजी श्री शालिन के इस अभियान में महकमे का पूरा समर्थन नही मिल पा रहा है। क्योंकि विभाग के कई अधिकारियों पर इंट्री माफिया गिरोह के सरगना राजू खान के पे रोल पर रहने का आरोप है। ऐसे में वे सभी जांच प्रक्रिया को कुंद करने के लिए अपनी ओर से कोई कोर कसर नही छोड़ रहे है। सरगना सहित गिरोह के कई सदस्यों का मोबाइल सीडीआर गया पुलिस के पास गुरुवार को आ चुका है। जीटी रोड के कई आईपीएस से लेकर मुख्यालय के मुख्य धारा में रह चुके एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ राजू खान की लगातार बाते होती थी। इस बात का सीडीआर गवाह है। अब बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे? यह एक यक्ष प्रश्न है। क्योंकि भविष्य में उक्त वरिष्ठ अधिकारी डीजीपी के पद पर जा सकता है। दूसरी ओर मामला मुख्यालय के संज्ञान में है। आईजी अभियान गिरोह पर नजर रख रहे है। सीआईडी में फाइल खुल चुकी है। ऐसे में यदि कोताही किसी ने बरती तो मामला विभाग से लेकर अदालत तक ले जाने वालों की कमी नही है।
गया पुलिस को राजू के पकड़े जाने का इंतजार है। तब राजू से संबंध रखने वाले पुलिस, खनन एवं परिवहन विभाग के अधिकारियों का राज सार्वजनिक हो पाएगा। उसके बाद अधिकारियों की चल-अचल संपत्ति इस बात का प्रमाण होगा कि कैसे इंट्री माफिया गिरोह को सरंक्षण देने पर वे अकूत संपत्ति के मालिक बने है। प्रक्रिया थोड़ी लंबी है। लेकिन यदि संगठित अपराध के खिलाफ मोर्चा खोल चुके श्री शालिन मगध डीआईजी के पद पर बने रहें तब चौंकाने वाले परिणाम सामने आएगा। तब कई सफेदपोश के चेहरे पर से नकाब उतरना तय है। लेकिन इस बात की चर्चा शुरु हो गई है कि श्री शालिन को गया से हटाने के लिए इंट्री माफिया साम-दाम-दंड की हर प्रक्रिया को अपनाने से पीछे नही हटेंगे। चर्चा तो यहां तक है कि राजधानी में अपने शुभचिंतकों के यहां गिरोह के सदस्यों ने डेरा डाल रखा है। ताकि उन्हे आर्थिक एवं मानसिक रुप से परेशान करने वाले एक 'जनूनी' अधिकारी से मुक्ति मिल सके।