बिहारः गया में गुलेलवा पहाड़ी की मिट्टी उगल रही सोना
हमारी धरती अपने गर्भ में कई रहस्य छिपाए है। ऊपर से कठोर व सख्त दिखने वाली गुलेलवा पहाड़ी की लाल मिट्टी में सोना भी है। यहां सोना निकालने का काम जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट (भूगर्भशास्त्र विभाग) की टीम पिछले दो साल से कर रही है। सोमवार को इस पहाड़ी पर लाल मिट्टी
गया [संजय कुमार]। हमारी धरती अपने गर्भ में कई रहस्य छिपाए है। ऊपर से कठोर व सख्त दिखने वाली गुलेलवा पहाड़ी की लाल मिट्टी में सोना भी है। यहां सोना निकालने का काम जियोलॉजिकल डिपार्टमेंट (भूगर्भशास्त्र विभाग) की टीम पिछले दो साल से कर रही है। सोमवार को इस पहाड़ी पर लाल मिट्टी के बीच सोने के छोटे-छोटे कण जब मेरी हथेली पर उत्खनन का कार्य कर रहे संजय मंडल ने रखे तो आंखें सोने जैसी चमक देख खिल उठीं।
संजय मंडल यहां ऑपरेटर पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि मिट्टी को यहां से निकाल कर जांच के लिए नई दिल्ली व कोलकाता स्थित विभाग की लैब (प्रयोगशाला) में भेज रहे हैं। वहां से आ रही रिपोर्ट के अनुसार इस स्थान से निकल रही मिट्टी में 30 प्रतिशत सोने का अंश है।
दो साल पहले शुरू हुआ उत्खनन: गुलेलवा पहाड़ी के आसपास उत्खनन कार्य की निगरानी में लगे जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के विनोद राय तथा एस. चटर्जी ने बताया कि 2010 से 2012 तक यहां सर्वे चला। सर्वे में जब पहाड़ी मिट्टी के अंदर सोने की बात सामने आई तो इसके बाद 2013 से यहां उत्खनन का कार्य शुरू हुआ, जो जारी है।
13 स्थानों पर बोरवेल :
सर्वे के बाद उत्खनन कार्य में अब तक यहां कुल 13 बोरवेल किए जा चुके हैं। प्रत्येक की गहराई लगभग 150 से 170 मीटर है। इस बोरवेल से सोनायुक्त मिट्टी निकालने में विभाग के छह लोग जुटे हैं, जो महीने में दो बार 20 बड़े बॉक्स में मिट्टी को भरकर पहले राजगीर स्थित विभागीय कार्यालय भेजते हैं। जहां से जांच के लिए इसे नई दिल्ली व कोलकाता स्थित लैब भेजा जाता है।
गया जिला मुख्यालय से पूर्वोत्तर दिशा में करीब 40 किमी चलने पर नीमचक बथानी प्रखंड मुख्यालय है। प्रखंड मुख्यालय से पांच किमी दक्षिण की ओर चलने पर सोना गुलेलवा पहाड़ी दिखने लगती है। राजगीर की पंच पहाड़ी की यह शाखा है। इसी से सटी नालंदा जिले की सीमा शुरू हो जाती है।
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''मेरी जानकारी में जियोलॉजिकल सर्वे की टीम गुलेलवा पहाड़ी वन क्षेत्र से सोना निकाले जाने का काम पिछले दो साल से कर रही है। टीम कहां और किस हद तक सफल रही है, इसका जायजा लेने जल्द ही वन विभाग के अधिकारियों की एक टीम वहां जाएगी।''
-अरविंद कुमार, रेंजर अतरी वन क्षेत्र, गया