हम जदयू में हैं: मांझी
जागरण संवाददाता, गया पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने खुलकर कहा है कि - 'वे जदयू में हैं।' उन्ह
जागरण संवाददाता, गया
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने खुलकर कहा है कि - 'वे जदयू में हैं।' उन्होंने 'सरेंडर' नहीं किया, बल्कि 'मुस्तैदी' से लड़ेंगे। मांझी गुरुवार को गया गादोवरी स्थित अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली की जाएगी। जिसमें 5 लाख लोग जमा होंगे। अगर इससे कम लोग आए तो 'सन्यास' ले लेंगे।
आवास पर खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन में मांझी कुछ उत्साहित नजर आ रहे थे। चेहरे पर किसी तरह का शिकन नहीं था। उन्होंने कहा कि जदयू से निष्कासित उन्होंने किया है। जबकि असल में जदयू उनके पास है। चूंकि नीतीश कुमार लालटेन के साथ जा रहे हैं तो तीर मेरे साथ रहेगा। एक छोटे कर्मचारी को भी निकालने के पहले उससे स्पष्टीकरण पूछा जाता है। लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। यह अन्याय है। हमारी गलती क्या है। इसे भी नहीं बताया गया है।
उन्होंने कहा कि मेरे मंत्रिमंडल के अंतिम दिनों में लिए गए 34 निर्णयों को रद्द करना न्यायोचित नहीं है। चूंकि मंत्रिमंडल ने जो भी निर्णय लिए थे। वह पार्टीहित, जनहित और लोकहित में लिया गया था। कोई व्यक्तिगत फैसला नहीं था। इसलिए उससे रद्द कर 'पाप' किया गया है। इसी बात को आवाम तक पहुंचाने का काम 'हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा' कर रही है। उन्होंने 'हम' के गठन के प्रश्न पर जवाब देते हुए कहा कि यह जदयू का फ्रंट आर्गनाइजेशन है। जिसका रजिस्ट्रेशन भी कराया जा रहा है। यह पार्टी नहीं है। एक मोर्चा है। जिसके बैनर तले बात रखी जा रही है। उन्होंने आने वाले विधानसभा चुनाव में गठबंधन की सरकार बनने के प्रश्न पर कहा कि 'हम' बिहार में दिल्ली की 'आप' पार्टी होगी।
मांझी ने कहा कि मोर्चा की पहली सभा मुजफ्फरपुर के पुलिस मैदान में हुई। जहां अपार भीड़ थी। यह लोगों का प्रेम है। दूसरा सम्मेलन 21 मार्च को गया के गांधी मैदान में आयोजित किया गया है। जिसमें पूरे मगध प्रमंडल के दबे-कुचले लोग लाखों की संख्या में जुटेंगे। उनकी हकमारी हुई है। जिसे दिलाना मेरा कर्तव्य है।
मांझी ने प्रश्न के जवाब में कहा कि सभी लोग जानते हैं कि उस वक्त हमें भी मारने की धमकी दी गई थी। मेरे कई विधायकों के आवास पर दबंग लोगों ने घेर रखा था। वैसी स्थिति में उन्होंने सभी विधायकों को विधानमंडल में जाने की सहमति दी और यह एक राय बनी। उदाहरण देते हुए मांझी ने कहा कि बाराचट्टी की विधायक ज्योति मांझी मेरी समधन हैं। यह सर्वविदित है। लेकिन उन्हें टिकट गया के तत्कालीन अधिकारियों की अनुशंसा पर नीतीश कुमार ने दिया था। मैंने उन्हें उनके कर्तव्य के पालन करने को कहा। मांझी ने दावा किया कि उनके साथ उस वक्त भी 24-25 विधायक थे। लेकिन आगे की रणनीति के तहत सहमति से सबकुछ किया गया।
भारतीय जनता पार्टी के सहयोग पर मांझी ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है कि उनके सहयोग से सबकुछ चल रहा है। अगर ऐसा होता तो तस्वीर आज कुछ अलग होती। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद पहली बार गया स्थित अपने आवास आए थे। जहां भीड़ थी। उनके समर्थन में जदयू के नेता भी उपस्थित थे। संवाददाता सम्मेलन में मुख्य रूप से टिकारी के जदयू विधायक डा. अनिल कुमार साथ रहे।