हैवानियत की हद पार कर गए दरिंदे
जेएनएन, गया/बाराचट्टी हैवानियत की हद पार करते हुए चार दरिंदों ने एक मासूम बच्ची की अस्मत को सरेशाम
जेएनएन, गया/बाराचट्टी
हैवानियत की हद पार करते हुए चार दरिंदों ने एक मासूम बच्ची की अस्मत को सरेशाम गुरुवार को मोहनपुर थाना के बांदेगड़ा जंगल में लूट लिया। महादलित समाज की बच्ची का शरीर दरिंदगों द्वारा दी गई जख्म की कहानी कह रही है। बच्ची के 'प्राइवेट पार्ट' पर चिकित्सकों को कई टांके लगाने पड़े हैं। सदमे में बच्ची है। घटना के 24 घंटे बाद भी पीड़िता पुलिस के समक्ष अपना मुंह नहीं खोल रही है। सिटी एसपी राकेश कुमार घटना को गंभीरता से लेते हुए स्वयं पीड़िता को गांव से जिला मुख्यालय स्थित जयप्रभा अस्पताल लाकर इलाज कराया। चिकित्सकों का दावा है कि बच्ची खतरे से बाहर है। लेकिन वह काफी सदमे में है।
मगध क्षेत्र के पुलिस उप महानिरीक्षक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बाराचट्टी और मोहनपुर थाना के एसएचओ को शुक्रवार को कई निर्देश दिया। डीआईजी श्री श्रीवास्तव को मोहनपुर एसएचओ ने शुक्रवार दोपहर को जानकारी दी कि बच्ची बोलने की स्थिति में नहीं है।
सिटी एसपी श्री कुमार को घटना के संबंध में मीडियाकर्मियों से गुरुवार की रात सूचना मिली। एसपी श्री कुमार ने बाराचट्टी एसएचओ से तुरंत घटनास्थल जाकर पीड़िता को इलाज के लिए जिला मुख्यालय लाने का आदेश दिया। इसके पूर्व बाराचट्टी व मोहनपुर थाना की पुलिस सीमा विवाद को लेकर कानूनी कार्रवाई करने से बच रही थी। जिस कारण इतनी गंभीर घटना की सूचना गुरुवार की रात 10:30 बजे तक सिटी एसपी सहित अन्य वरीय अधिकारियों को स्थानीय पुलिस के द्वारा नहीं दी गई थी। सिटी एसपी श्री कुमार स्वयं शुक्रवार की सुबह बाराचट्टी के कोहवरी गांव पहुंचे। परमेश्वर मांझी की करीब 12-14 वर्ष के बीच रही बेटी पीड़िता है। सिटी एसपी श्री कुमार के आदेश पर पुलिस ने बच्ची के अंदरूनी वस्त्र व अन्य कपड़ा को जांच के लिए जब्त की। घटनास्थल पर पड़े खून के धब्बे को पुलिस ने एफएसएल जांच के लिए उठाया। पीड़िता की चचेरी नानी बेबी का कहना है कि उसके साथ पीड़िता गुरुवार को मोहनपुर थाना के डंगरा में 'बाजार' करने के लिए गई थी। वापस लौटने के क्रम में बेबी वापस डंगरा लौट गई। जबकि पीड़िता को डंगरा से कुछ दूर पर स्थित क्वार्टर पर रूकने के लिए छोड़ गई थी। वापस लौटने पर बेबी को पीड़िता नहीं मिली। एक थैला वहां मिला। जिसे पीड़िता की नानी ने पहचानते हुए कहा कि यह उसकी नतिनी का है। जिसके बाद परिजन और ग्रामीण घटनास्थल की ओर कूच कर गए। जहां झाड़ी से पीड़िता की आवाज सुनाई दी। पास जाने पर पीड़िता को खून से लथपथ पाया गया। बच्ची को एक ग्रामीण चिकित्सक से दिखाकर इलाज करने को कहा गया। ग्रामीण चिकित्सक ने पुलिस मामला बताते हुए इलाज से इन्कार कर दिया। तब परिजनों ने उक्त चिकित्सक को बताया कि बैल ने बच्ची को जख्मी किया है। जिसके बाद ग्रामीण चिकित्सक ने अपने घर पर बच्ची का इलाज किया। गांव में चर्चा थी कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। नौ टांके लगाए गए। गांव का एक भी आदमी या परिजन पुलिस के समक्ष शुक्रवार को कुछ भी बोलने से बचते दिखे। क्योंकि ग्रामीणों को दरिंदगों की ताकत का एहसास है। वे भयाक्रांत हैं। लेकिन दुलारी देवी अपनी नातिन की दुर्दशा को देख फट पड़ी। उसने कहा कि उसकी नतिनी के साथ चार लोगों ने 'जोर-जबरदस्ती' की है।