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32 वर्षो में छह लाख नेत्र रोगियों की लौटी रौशनी

विनय कुमार मिश्र, बोधगया (गया): बुद्धभूमि बोधगया में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले विराट नि:शुल्क

By Edited By: Published: Sun, 23 Nov 2014 10:00 AM (IST)Updated: Sun, 23 Nov 2014 10:00 AM (IST)
32 वर्षो में छह लाख नेत्र रोगियों की लौटी रौशनी

विनय कुमार मिश्र, बोधगया (गया):

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बुद्धभूमि बोधगया में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले विराट नि:शुल्क नेत्रदान शिविर का लाभ अब तक लगभग छह लाख नेत्र रोगियों ने उठाया है। इनमें 35 सौ जन्मांध बच्चे भी शामिल है। शनिवार को 32 वां शिविर का समापन हुआ। बोधगया में पिछले 31 वर्ष से भंसाली ट्रस्ट गुजरात, समन्वय आश्रम बोधगया और निगमा मोनास्ट्री के संयुक्त तत्वावधान में नि:शुल्क नेत्रदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष 32 वें शिविर में 26 हजार 472 नेत्र रोगियों ने इस शिविर का लाभ उठाया। और उनके आंखों की खोयी रौशनी वापस लौटी। शिविर में आए सभी मरीजों को भोजन, आवासन, चश्मा व दवा नि:शुल्क मुहैया कराया जाता है।

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दो बार मिला सरकार-प्रशासन का मदद

32 वे शिविर तक संचालक को दो बार सरकार-प्रशासन स्तर से मदद मिली है। शिविर के प्रबंधक तनीसी भाई बताते हैं कि बिहार में जब अश्रि्वनी चौबे स्वास्थ्य मंत्री थे तो उस वक्त 1.25 करोड़ का आर्थिक मदद दिया गया था। श्री चौबे स्वयं शिविर का निरीक्षण करने आए थे। और इस बार जिलाधिकारी संजय कुमार अग्रवाल के पहल पर जिला अंधापन निवारण समिति मद से 11 लाख का आर्थिक मदद दिया गया है।

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आते हैं विदेशी चिकित्सक

शिविर में प्रतिवर्ष स्वीडन की ख्यात नेत्र सर्जन डा. सार लोटा अपना योगदान देने आती हैं। वे बच्चों का आपरेशन करती है। इसके अलावे गुजरात के ख्यात नेत्र सर्जन डा. किशोर भाई असनानी के नेतृत्व में 22 सर्जनों का दल भी 13-13 दिन इस शिविर में योगदान करने गुजरात सहित देश के अन्य प्रदेशों से आते हैं।

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1984 में हुआ था शुरू

शिविर का शुभारंभ बुद्धभूमि पर वर्ष 1984 में हुआ था। उस वक्त 2240 नेत्ररोगियों का आपरेशन कर चश्मा दिया गया था। इसके बाद मरीजों की संख्या भी बढ़ती गई और वर्ष में दो बार शिविर का भी आयोजन किया जाने लगा। यह शिविर कुछ वर्षो तक कालचक्र मैदान व समन्वय आश्रम में आयोजित किया गया। फिर समन्वय आश्रम में स्थायी तौर पर वातानुकूलित नेत्र ज्योति आंख अस्पताल बन जाने से समन्वय आश्रम व निगमा मोनास्ट्री में संयुक्त रूप से शिविर का संचालन किया जाता है। शिविर के संचालन में चार सौ स्वयंसेवकों व चार सौ स्टाफ की तैनाती होती है।

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इस वर्ष पलामू में लगेगा शिविर

शिविर के आयोजक अब इसका विस्तार बिहार से सटे झारखंड में भी करना चाहते हैं। इस बार दिसम्बर माह में पलामू में शिविर प्रस्तावित है। प्रबंधक तनीसी भाई ने बताया कि बिहार में बोधगया के अलावे गत सात वर्ष से नरकटियागंज में भी मिनी शिविर का आयोजन किया जा रहा है। भागलपुर में तीन बार कैंप का आयोजन किया जा चुका है।

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पहले चश्मा अब लेंस

शिविर में पहले मरीजों को आपरेशन के बाद पावर का चश्मा दिया जाता था। लेकिन अब लेंस लगाया जाता है। मरीजों को आपरेशन से पूर्व कई तरह की जांच की जाती है। और उसी क्रम में उसके पावर लेंस की भी जांच होती है। और उसी अनुसार लेंस लगाया जाता है। शिविर में आंख के तीन रोग का आपरेशन किया जाता है। जिसमें मोतियाबिंद, ग्लुकोमा और नखुना शामिल है।

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नेत्रदान के साथ कृत्रिम अंग दान

शिविर में पिछले वर्ष से विकलांगों के लिए कृत्रिम अंग दान नि:शुल्क प्रदान किया जा रहा है। इसमें ट्राई साइकिल, बैशाखी और कटे हाथ व पैर के लिए कृत्रिम अंग शामिल हैं।


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