सेवा के बहाने खूब चले राजनीति के व्यंग्य वाण
गया, जागरण संवाददाता : राजनीति एक ऐसी चीज है। वो किसी भी जगह अपना प्रभाव डालने से बाज नहीं आता। ये त
गया, जागरण संवाददाता : राजनीति एक ऐसी चीज है। वो किसी भी जगह अपना प्रभाव डालने से बाज नहीं आता। ये तो बस ऐसे लोगों की जमघट लगने का इंतजार करती है। बात श्मसान घाट पर की हो। या फिर छठ घाट की। शादी समारोह या फिर जन्मदिन का अवसर। यहां तक की पूजा पाठ के स्थल पर भी थोड़ी सा वक्त यदि राजनीति करने वालों को मिल गया। तो कुर्सी की चर्चा जुबानी होकर इससे आगे तक भी चली जाती है। बुधवार व गुरुवार को यही देखने व सुनने को मिल रहे थे रामशीला छठ घाट व इसके आसपास लगे सेवा शिविर में। केन्द्र सरकार में सत्तासीन दल के लोगों नेता व कार्यकर्ताओं के बैनर व स्टाल लगे थे। यहीं पर सूबे के सत्ताधारी दल के समर्थकों के बैनर। कहीं वार्ड के पार्षद के साथ कई लोगों के फोटो सहित बैनर। सहायता व सूचना शिविर के पास लगे फोटोयुक्त बैनर में एक युवा नेता की तस्वीर लगी थी। यहां से छठ घाट पर आए लोगों को चाय पानी की व्यवस्था थी। जो सेवा पा रहे थे। यहीं कह रहे थे। अगला वार्ड पार्षद आप ही होंगे। यह सुन उनकी बांछे खिल जाती थी। वहीं एक स्टाल पर लगे माइक पर एक युवा नेता बोले जा रहे थे- केवल हाथ जोड़कर फोटो लगाने से काम नहीं चलेगा। कुछ तो छठ व्रतियों की सेवा में हाथ बटाएं। राजनीति के व्यंग्य वाण इस कदर निकल रहे थे। मानो निशाने पर रहे नेताजी को आज ही 'मार' गिरा दें। तो अगले चुनाव में हम बाजी मार लें। 'नेताजी' के नाम से पुकारे जाने वाले एक युवा को एक निजी चैनल पर बोलने के लिए कुछ कहा गया। तो वे तपाक से बोले ईट, पत्थर (स्टोन चिप्स) के 'सहारे' हम राजनीति नहीं करते। हम क्षेत्र की जनता की सेवा करने में विश्वास रखते हैं। वहीं 'बालू' (बालू घाट के ठेकेदार) के सहारे छठ व्रतियों की सेवा दे रहे लोगों पर भी व्यंग्य वाण कम नहीं चले। एक तो यही कह रहे थे- जिनके कार्यकाल में रामशीला घाट सतह पर आया। आज वहीं घाट पर नजर नहीं आ रहे।