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CYBER CRIME : इंजीनियरिंग दिमाग की नई मिसाल......जानिेए क्या है मामला?

साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले दो युवकों को पुलिस ने अपनी गिरफ्त में लिया है। आप सुनकर चौंक जाएंगे कि ये युवक कोई लुटेरे या अपराधी नहीं बल्कि दो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 08:06 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 10:50 PM (IST)
CYBER CRIME :  इंजीनियरिंग दिमाग की नई मिसाल......जानिेए क्या है मामला?

बेतिया। साइबर क्राइम को अंजाम देने वाले दो युवकों को पुलिस ने अपनी गिरफ्त में लिया है। आप सुनकर चौंक जाएंगे कि ये युवक कोई लुटेरे या अपराधी नहीं बल्कि दो मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र हैं।

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बेतिया पुलिस ने एटीएम में रुपये की निकासी करने गए उपभोक्ताओं को गच्चा देकर रकम उड़ानेवाले एक बड़े गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। इस सिलसिले में दो साइबर अपराधी पुलिस के हत्थे चढ़ गए, जिन्होंने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।

एएसपी अभियान राजेश कुमार ने बताया कि मामले में सिकटा थाना क्षेत्र के सिरिसिया निवासी मोहम्मद शमीम राणा उर्फ नन्हें उर्फ समीर अहमद व झुमका निवासी सुहैल अहमद को गिरफ्तार किया गया है। झुमका निवासी रफीक आजम भागने में सफल रहा।

दोनों की गिरफ्तारी रविवार को मुहर्रम चौक स्थित बैंक ऑफ इंडिया की एटीएम के समीप से की गई। तीनों किसी को चूना लगाने की नीयत से वहां जमे थे। उनके पास से चार एटीएम कार्ड, दो वोटर आइकार्ड, एक सिमकार्ड व दो महंगे सेलफोन बरामद किए गए हैं।

गिरफ्तार युवक मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं। सोहेल कर्नाटक से इंजीनियरिंग कर रहा है, जबकि समीर दिल्ली से दूरस्थ शिक्षा में इंजीनियरिंग का छात्र है। पुलिस के अनुसार दोनों इंटर की पढ़ाई के दौरान ही साइबर अपराध की दुनिया में उतर गए थे।

एएसपी ने बताया कि एक माह पूर्व मुहर्रम चौक निवासी एक व्यक्ति के खाते से दोनों ने करीब 25000 रुपये उड़ाए थे। इस दौरान दोनों की तस्वीर एटीएम सेंटर में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई। इसके आधार पर दोनों की गिरफ्तारी की गई।

कार्ड का फोटो खींच ऑनलाइन खरीददारी

गिरफ्तार युवकों ने पुलिस के समक्ष जो खुलासे किए हैं, उससे पुलिस भी दंग है। गिरफ्तार युवकों के अपराध का तरीका भिन्न था। बैंक में आए उपभोक्ताओं के हाथ में पकड़े कार्ड का आसपास मौजूद रहकर सेलफोन से उसका फोटो खींच लेते थे या वीडियो बनाते थे। जब उपभोक्ता अपना पिन नंबर दबाता था तो चुपके से उसका भी फोटो खींच लेते थे। बाद में कार्ड व पिन नंबर जानकर वह उपभोक्ताओं के खाते से ऑनलाइन खरीदारी करते थे।


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