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दम तोड़ रहा मधुआहा माल का पोखर

मोतिहारी। तेतरिया प्रखंड मुख्यालय से महज दो किमी की दूरी पर मधुआहा माल गांव स्थित पोखर। तालाब का अपन

By Edited By: Published: Sun, 29 May 2016 12:53 AM (IST)Updated: Sun, 29 May 2016 12:53 AM (IST)

मोतिहारी। तेतरिया प्रखंड मुख्यालय से महज दो किमी की दूरी पर मधुआहा माल गांव स्थित पोखर। तालाब का अपना इतिहास है। इसकी खुदाई अंग्रेजों द्वारा कराई गई थी। अंगेजी हुक्मरान नील फैक्ट्री के गंदे पानी का यहां संग्रह करते थे। आजादी के बाद इस तालाब को भी आजादी मिली और इसका पानी भी शुद्ध व स्वच्छ हुआ। इसके पानी से किसान ¨सचाई करते थे। कपडा, बर्तन धोने व पशुओं को नहलाने के लिए इसके पानी का उपयोग किया जाता था। मत्स्य पालन भी यहां होता था। तालाब को अतिक्रमणकारियों की नजर लग गई और इसका दायरा सिमटता चला गया। उचित देखरेख के अभाव में तालाब सूख गया। इसे बचाने के लिए लोगों को जागरूक होने की जरूरत है, ताकि एक बार पुन: सार्थक प्रयास से पोखर का कायाकल्प हो सके।

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इतिहास के आईने में तालाब

कहते हैं अंग्रेजी हुकूमत में तेतरिया कोठी के अंग्रेज अधिकारियों ने इस पोखर की खुदाई कराई थी। तेतरिया कोठी पर नील की फैक्ट्री थी। इसे चलाने व इससे निकलने वाले अपशिष्ट जल का संग्रह मधुआहा माल स्थित इसी पोखर में किया जाता था। पोखर तक जल निकासी के लिए फैक्ट्री से यहां तक पक्का नाला बनाया गया था। इसके ईंट के अवशेष ग्रामीणों को अब भी मिल जाते हैं। पोखर के पूरब किनारे पर पक्का चबूतरा भी बनाया गया था, जहां नील सुखाई जाती थी। गांव के 80 वर्षीय वृद्ध स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत्त रामचन्द्र प्रसाद बताते हैं कि पोखर के उत्तरी किनारे रेह वाली मिट्टी से ग्रामीण सोडा तैयार करते थे। इसका उपयोग उस समय तोप की बारूद बनाने में किया जाता था। पोखर के चारों ओर सुन्दर फल व फूल लगाए गए थे। अंग्रेज अफसर पत्नी व बच्चों के साथ यहां सैर करने आते थे। आजादी के बाद इसका उपयोग बढ़ा, पर बाद के दिनों में इसकी उपेक्षा के कारण इसका वजूद संकट में है।

सौंदर्यीकरण को उठाए जाएं सार्थक कदम

इस तालाब के विकास के लिए प्रशासनिक स्तर पर ठोस कदम उठाने की जरूरत है। तालाब के विकास को लेकर ग्रामीणों की एक गोष्ठी हुई, जिसमें इस तालाब को संवारकर राष्ट्रीय स्थल घोषित करने की मांग की गई। ग्रामीण रूपलाल प्रसाद, रामस्वरूप महतो, नंदलाल महतो, करुण कुमार श्रीवास्तव, प्रमोद प्रसाद, कंचन साह, मोहन साह, रामविलास महतो, ल¨खद्र प्रसाद, गौरव कुमार, पंकज कुमार, रामपुकार महतो, सत्यनारायण साह, गगन देव साह, विनोद साह, लालजी साह समेत कई ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि अंग्रेजों के जुल्मों से जुडी इस धरोहर पोखर का सौंदर्यीकरण किया जाए। इसे योजनाबद्ध तरीके से विकसित कर आने वाली पीढी के लिए संजोने की जरूरत है। ग्रामीणों ने इसे बचाने के लिए प्रयास करने का संकल्प लिया।

बीडीओ सुनील कुमार गौड़ ने कहा कि हमें इस ऐतिहासिक पोखर के बारे में जानकारी मिली है। इसके जीर्णोंद्धार के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।


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