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नारी निकेतन भेजी जाएंगी अल्पावास गृह की महिलाएं

जागरण संवाददाता, मोतिहारी : महिला अल्पावास गृह की जांच के बाद नोडल पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने शुक्रवा

By Edited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 01:41 AM (IST)Updated: Sat, 18 Apr 2015 01:41 AM (IST)
नारी निकेतन भेजी जाएंगी अल्पावास गृह की महिलाएं

जागरण संवाददाता, मोतिहारी : महिला अल्पावास गृह की जांच के बाद नोडल पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने शुक्रवार को विधि व्यवस्था की समीक्षा की। कहा गया कि अल्पावास गृह में बंद महिलाओं को पटना नारी निकेतन भेजा जाएगा। यहां 18 वर्ष से कम उम्र की पांच बच्चियां बंद हैं। इनपर किस प्रकार के मामले हैं और इसका निष्पादन कैसे होगा इसी जिम्मेदारी महिला हेल्प लाइन को दी गई है। इनके मामले को समाप्त कराने की दिशा में दिशा-निर्देश जारी किया गया। श्री कुमार ने कहा कि पटना में इलाज के लिए रेफर चारों महिलाओं की स्थिति में सुधार है। इन महिलाओं को भी नारी निकेतन भेजने की व्यवस्था की जाएगी। कहा गया कि अल्पावास गृह में कम समय के लिए ही महिलाओं को रखने का प्रावधान है। इस व्यवस्था को बनाए रखा जाना चाहिए। यहां बंद महिलाओं को मनोवैज्ञानिक, आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा देना है। हाल के कुछ महीनों में यहां आने वाली महिलाएं व बच्चियों को बिना मेडिकल रिपोर्ट के ही रखा गया था। अब यहां रहने वाली महिलाओं का मेडिकल रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा। इससे उनकी बीमारी का इलाज कराना आसान होगा। कहा गया कि अल्पावास गृह में मानव तस्करी, घरेलू ¨हसा की शिकार व भूली-भटकी महिलाओं व लड़कियों को रखने का प्रावधान है। विक्षिप्त व विकलांग महिलाओं को यहां नहीं रखा जाना है। बैठक में महिला हेल्प लाइन की परामर्शी अमृता, सखी संस्था की सुमन, प्रयास के सचिव विजय कुमार, अल्पावास गृह की बबीता श्रीवास्तव व अरविंद कुमार मौजूद थे।

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मौत के बाद प्रशासन को नियम का हुआ ज्ञान

-अल्पावास गृह में उड़ रही थी नियमों की धज्जियां

सत्येन्द्र कुमार झा, मोतिहारी : तुरकौलिया स्थित महिला अल्पावास गृह में एक के बाद एक मौत होती रही। बावजूद प्रशासन की नींद नहीं खुली। हाल के दिनों में जब चौथी मौत हुई और चार मरने के कगार पर पहुंच गई तो प्रशासन को अल्पावास की व्यवस्था व नियमों की याद आयी। जांच हुई तो असलियत सामने आयी। पूर्व में सरकारी स्तर पर कभी यह जानने का प्रयास नहीं किया गया कि इसमें रहने वाली महिलाएं कौन-कौन हैं। उनका अपराध क्या है। यहां उन्हें कितने दिनों तक रहना है। डीएम भरत दूबे ने खुद मामले में पहल कर चार बीमार महिलाओं को पटना रेफर कराया। अल्पावास गृह की जांच करायी। जांच के बाद कई तथ्य सामने आए हैं, जो यह साबित कर रहा है कि यहां महिलाओं को रखने के जो नियम हैं उसका उल्लंघन किया गया है। एक तरफ कहा जा रहा है कि जिस महिला की मौत हुई है व जो बीमार हैं वे विक्षिप्त थीं। कुछ भीख मांगने वाली भी इसमें शामिल थीं। अगर अल्पावास के नियम की बात करें तो अधिकारी खुद कह रहे हैं कि इस प्रकार की महिलाओं को नहीं रखना है। तो फिर किस प्रकार इन महिलाओं को रखा गया? एक अधिकारी ने कहा कि 18 से कम उम्र की लड़कियों को यहां रखने का प्रावधान नहीं है, पर कोई अन्य व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें यहां रखा जाता है। सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह है कि एक भी महिला का पुर्नवास नहीं कराया जा सका है।

महिलाओं को घर पहुंचाने की दिशा में होने लगी पहल

असम की एक महिला जानमुनी देवी मोतिहारी रेलवे स्टेशन पर मिली थी। जीआपी ने उसे पकड़कर महिला अल्पावास गृह में डाला था। उसके पति ने उसे छोड़ दिया था। अब उसे उसके घर भेजने की दिशा में पहल होने लगी हैं। प्रेम प्रसंग व भटक कर आने वाली लड़कियों में छह हैं। उन्हें भी वापस भेजने की दिशा में अब प्रयास शुरू कर दिया गया है। उसका घर भी मालूम है और पता भी, पर उन्हें उनके घर नहीं पहुंचाया जा सका है। ऑकेस्ट्रा में काम करने वाली पांच लड़कियों के मामले का भी निष्पादन करने को निर्देश दिया गया है।

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