Move to Jagran APP

..तो संबद्ध कॉलेजों की नहीं बदलेगी तस्वीर

राज्य सरकार ने सूबे में वित्त सहित शिक्षा नीति समाप्त करने के लिए 21 नवंबर 2008 को संकल्प पत्र जारी किया था।

By Edited By: Published: Fri, 24 Jun 2016 11:37 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jun 2016 11:37 PM (IST)

दरभंगा । राज्य सरकार ने सूबे में वित्त सहित शिक्षा नीति समाप्त करने के लिए 21 नवंबर 2008 को संकल्प पत्र जारी किया था। वर्षों बाद 27 अगस्त 20115 को बिहार राज्य विवि (संशोधन) अधिनियम बनाकर शिक्षकों की सेवा का सामंजन चयन समिति के माध्यम से कराने का विकल्प निकाला गया। संकल्प के आलोक में 2008 से ही सरकार ने रिजल्ट के आधार पर अनुदान देना शुरू किया। पहले अनुदान देने के समय निर्गत पत्र में स्पष्ट रूप से स्वीकृत व अनुशंसित निर्देश राज्य सरकार ने दिया। हालांकि आगे चलकर विभिन्न तरह की बात उठने पर सरकार ने स्थायी निदान के लिए ही अधिनियम में संशोधन किया। उस समय तब संबद्ध कॉलेजों के संबंध में सरकार की मंशा साफ ही नहीं सराहनीय थी। लेकिन, सरकारी मुलाजिमों की दिग्भ्रमित करने वाली नीति के चलते अभी से ही इस अधिनियम की हवा निकलने लगी है। इधर लनामिविवि में भी सिर्फ स्वीकृत पदों के लिए ही चयन समिति गठन करने के लिए प्रधानाचार्यों को प्रस्ताव भेजने को कहा है। इससे 25-30 वर्षों से अनुशंसित पदों पर काम करनेवाले शिक्षकों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। विवि में तो कई ऐसे संबद्ध कॉलेज हैं जहां शिक्षकों का एक भी पद स्व कृत नहीं है। क्योंकि दो दशक के उपर से सरकार में पद सृजन का काम बंद है।

loksabha election banner

क्या कहता है अधिनियम : संबद्ध कॉलेजों में शासी निकाय के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों की सेवा कतिपय कारणों से स्थायी नहीं हो सकी है। चूंकि बिहार कॉलेज सेवा आयोग अस्तित्व में नहीं है। इसलिए बिहार राज्य विवि अधिनियम 23, 11976 में संशोधन कर चयन समिति का प्रावधान किया गया है। इसके तहत धारा 57 क में संशोधन कर उपधारा 6 जोडऩे की बात कही गई है। इसके तहत डिग्री कॉलेजों में 19 अप्रैल 2007 के पहले कॉलेज सेवा आयोग की अनुशंसा के बगैर नियुक्ति शिक्षकों की सेवा चयन समिति के माध्यम 31 मार्च 2017 तक नियमित करा लेने की बात कही गई है। सरकार के इस गजट में शर्त सिर्फ इतनी है कि शिक्षकों की नियुक्ति के समय जो अर्हता लागू थी वहीं मान्य होगी। इस गजट में निर्धारित तिथि के अलावा एक शब्द भी स्वीकृत, अनुशंसित या आरक्षित का उल्लेख नहीं है।

कितने होंगे प्रभावित, कैसे होगा निदान : लनामिविवि में वर्तमान में संबद्ध कॉलेजों की संख्या 26 के करीब हैं। इनमें से अधिकांश कॉलेजों में काफी संख्या में अनुशंसित सीटों पर कार्य करने वाले शिक्षक हैं। गजट के अनुरूप अगर चयन समिति नहीं हुई तो ऐसे शिक्षकों के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा। साथ ही राज्य सरकार के संकल्प रूपी सपना भी चकनाचूर हो जाएगा। वर्षों से आर्थिक तंगी झेल रहे शिक्षकों को बेवजह कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ेगा। इसलिए अगर 19 अप्रैल 2007 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों की सेवा नियमित करने के लिए चयन समिति बने तो स्थायी रूप से निकलेगा निदान।

बोले अधिकारी : चयन समिति के लिए संबद्ध कॉलेजों के प्रधानाचार्यों को लिखा गया है। यह स्वीकृत पद के विरुद्ध होगा। हालांकि इससे सभी का कल्याण नहीं होगा। विवि ने सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है।

डॉ. अजीत कुमार ¨सह, कुलसचिव, एलएनएमयू, दरभंगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.