कला व कलाकारों की भूमि रही मिथिला : कुलपति
मिथिला रंग महोत्सव का आयोजन इस रूप में गौरव की बात है।
दरभंगा। मिथिला रंग महोत्सव का आयोजन इस रूप में गौरव की बात है। कलाकारों के माध्यम से ही देश ही नहीं विश्व भर में मिथिला की सभ्यता व संस्कृति का प्रचार-प्रसार हो सकेगा। लनामिविवि के पीजी संगीत विभाग में मिथिला रंग महोत्सव 2016 के उदघाटन संबोधन में शुक्रवार को का¨सदसंविवि के कुलपति प्रो. देव नारायण झा ने ये बातें कही। दिल्ली के मैथिली लोक रंग (मैलो रंग) की ओर से आयोजित इस महोत्सव के कलाकारों का हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि मिथिला का महत्व वैदिक काल से अभी तक बना हुआ है। यहां कई ऐसी भी पंरपराएं है जिसका शास्त्र में तो नहीं बल्कि, लोकव्यवहार में व्याप्त है। नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि विलुप्त हो रही रंग मंच की परंपरा को मैलोरंग ने जीवंतता प्रदान करने का काम किया है। इससे रंग मंच की परंपरा पुनर्जीवित हो सकेगी। देश भर में मिथिला की संस्कृति व कला से लोग परिचित होंगे। इससे पहले भी भारत सरकार की सांस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने अपने ऐच्छिक कोष से रंग मंच बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए प्राक्कलन व डिजाइन विवि अभियंता से बनाकर देने का भार विभागाध्यक्ष डॉ. पुष्पम नारायण को दिया था। लेकिन, वह उन्हें अभी तक प्राप्त नहीं हो सका। संचालन नाटक के निदेशक प्रकाश झा ने किया।---------
आब मानिक जाउ ने मोहा मन : लनामिविवि की शाम शुक्रवार को काफी रंगीन मिजाज में रही। मौका था मैथिली कलाकारों की ओर से आब मानि जाऊ नाटक के मंचन का। स्व. अनिल चंद्र ठाकुर लिखित व मुकेश झा के माध्यम से नाट्यांतरण इस नाटक का उद्देश्य जन मानस को कला व संस्कृति से परिचित कराना है। दो दर्जन से अधिक कलाकारों ने जिस तरह इस नाटक को जीवंतता प्रदान की वह वास्तव में दांतों तले अंगुली दबाने वाला रहा। सोनिया झा, पूजा, प्रियदर्शनी, नीरा कुमारी, सोनी झा, मुकेश झा, मायानंद झा आदि ने अपनी प्रस्तुति से वातावरण को जय जय कर दिया।------------