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आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम है प्रकृति

प्रकृति सबसे ज्ञानी होती है। वह हर प्राणी की आवश्यकता को स्वत: किसी न किसी माध्यम से पूरा कर देती है।

By Edited By: Published: Sat, 22 Oct 2016 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 03:01 AM (IST)
आवश्यकता की पूर्ति करने में सक्षम है प्रकृति

दरभंगा। प्रकृति सबसे ज्ञानी होती है। वह हर प्राणी की आवश्यकता को स्वत: किसी न किसी माध्यम से पूरा कर देती है। स्नातकोत्तर समाजशास्त्र विभाग में आयोजित 'मखाना एवं अन्य जलीय संसाधनों के संदर्भ में मिथिला का सामाजिक आर्थिक विकास' विषय पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए ललित नारायण मिथिला विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि मिथिला पान, माछ तथा मखाना के लिए प्रचलित है। हर जगह पोखरा पाया जाता है लेकिन मखाना का उत्पादन नहीं हो सकता है। प्रकृति हर प्राणी की क्या आवश्यकता है को समझती है। उसे कैसे पूरा किया जाए उसका निदान स्वत: कर देती है। शाकाहारी तथा मांसाहारी में भोज्य पदार्थ अलग-अलग होता है। दोनों में हर तत्व एक समान होते हैं।उन्होंने कहा कि हर विषय का जुड़ाव एक-दूसरे से होता है। यह कहना कि इस विषय का अध्ययन किया हूं तो दूसरे विषय की जानकारी नहीं रख सकता। अपितु हर विषय एक दूसरे का पूरक है। उस रूप में अगर स्वध्याय किया गया तो सही रूप में ज्ञान प्राप्त होगा। शिक्षा का सामान्य रूप से उद्देश्य धन उपार्जन होता है। लेकिन यह तभी होगा जब समाज के हर पहलू को जोड़कर अगर आगे बढ़ाया जाए तभी समाज तथा व्यक्ति का समुचित विकास हो। एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. डीएम दिवाकर ने कहा कि मखाना की खेती में नई तकनीकी का उपयोग करना चाहिए। ताकि उपज का सही मूल्य किसान को मिल सके। अतिथि का स्वागत स्नातकोत्तर समाजषास्त्र विभाग में विभागाध्यक्ष डॉ. मीरा मिश्रा ने किया।


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