रचना रहस्य को अनावृत्त करता शोध
दरभंगा। रचना रहस्य को सावधानी पूर्वक अनावृत करना ही वास्तविक शोध माना जाता है। उच्च स्तरीय अनुसंधान
दरभंगा। रचना रहस्य को सावधानी पूर्वक अनावृत करना ही वास्तविक शोध माना जाता है। उच्च स्तरीय अनुसंधान के लिए केवल तथ्यों का उद्घाटन ही आवश्यक नहीं है, अपितु सत्यान्वेषण की महती आवश्यकता होती है। किसी भी गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के तीन मुख्य सोपान माने गए हैं- क्षेत्र, प्रक्षेत्र व विचित्र एक समर्पित शोधार्थी के लिए अनुसंधान के क्रम में कूपमंडूकता को सकारात्मक रूप से ग्रहण करना परम आवश्यक है। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व ¨हदी विभागाध्यक्ष व ¨हदी भाषा साहित्य के विद्वान प्रो. प्रभाकर पाठक ने मिथिला संस्कृत स्नातकोत्तर अध्ययन एवं शोध संस्थान की ओर से आयोजित शोध प्रशिक्षण कार्यशाला के तीसरे दिन शोधार्थियों को संबोधित करते हुए ये बातें कही। उन्होंने ¨हदी व अन्य साहित्य में गंभीर अनुसंधान की प्रक्रिया को लगभग एक समान बताते हुए उपस्थित गणेश्वर से उच्च स्तरीय एवं गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान के लिए निर्धारित मानकों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने का आग्रह किया। संस्थान के छात्र राहुल कुमार झा के वैदिक मंगलाचरण से प्रारंभ हुए कार्यक्रम के आरंभ में शोध संस्थान के निदेशक डॉ. देव नारायण यादव ने सभी आगत अतिथियों का स्वागत के क्रम में इस शोध संस्थान की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम के समकालीन महत्व पर विस्तार से चर्चा। कार्यशाला रविवार व सरकारी अवकाश को छोड़कर 22 जून 2017 तक जारी रहेगी। मानविकी व सामाजिक विज्ञान संकाय के विषयों से संबंधित विशेषज्ञों द्वारा शोधार्थियों को प्रत्येक दिन गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान की आधुनिकतम तकनीकों से अवगत कराया जा रहा है।