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मछली व मखाना के विकास की अपार संभावनाएं

दरभंगा। बहेड़ा महाविद्यालय प्रांगण में बुधवार को उत्तर बिहार में मछली उत्पादन की समस्या और उसके निदान

By JagranEdited By: Published: Thu, 25 May 2017 12:51 AM (IST)Updated: Thu, 25 May 2017 01:23 AM (IST)
मछली व मखाना के विकास की अपार संभावनाएं
मछली व मखाना के विकास की अपार संभावनाएं

दरभंगा। बहेड़ा महाविद्यालय प्रांगण में बुधवार को उत्तर बिहार में मछली उत्पादन की समस्या और उसके निदान विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। मौके पर सीएम साइंस कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आरपी सिन्हा ने कहा कि मिथिलांचल हमेशा से मछली एवं मखाना उत्पादन का बड़ा क्षेत्र रहा है। इसके उत्पादन की यहां अपार संभावनाएं हैं। डॉ. शशिकांत पाठक ने कहा कि बिहार में 65 हजार हेक्टेयर में तालाब है। 35 हजार हेक्टेयर में चौर है। 15 हजार हेक्टेयर में छोटे बड़े पोखरा हैं। 6 हजार हेक्टेयर में नहर है। उसके बावजूद राष्ट्रीय मछली उत्पादन दर प्रतिवर्ष मात्र 25 सौ किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ही है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक तरीके से नदियों व तालाबों में सुधार लाकर मछली का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। मछली उत्पादन में किसानों को विभिन्न समस्याओं का सामना करना पर रहा है। तकनीकी ढंग से मछली का उत्पादन कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं।एमआरएम कॉलेज दरभंगा के डॉ. विद्यानाथ झा ने कहा कि मिथिलांचल की पहचान पग पग पोखर माछ माखान रही है।थोड़ी सी मेहनत कर उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। सेमिनार को डॉ. संजय चौहान, डॉ नुमानी, डॉ. शशिभूषण शशि, डॉ अमिताभ कुमार सहित कई कॉलेजों के शिक्षकों ने अपने विचार रखे। अतिथियों का स्वागत कॉलेज के प्राचार्य अमरनाथ राय ने किया।


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