समानता को प्रश्रय देता संस्कृत साहित्य : वीसी
दरभंगा। का¨सदसंविवि में मंगलवार को दरबार हॉल में आयोजित संगोष्ठी के उदघाटन भाषण में कुलपति प्रो. विद
दरभंगा। का¨सदसंविवि में मंगलवार को दरबार हॉल में आयोजित संगोष्ठी के उदघाटन भाषण में कुलपति प्रो. विद्याधर मिश्र ने कहा कि संस्कृत साहित्य में सारी बातें सिर्फ मानवाधिकार की रक्षा को ध्यान में रख कर लिखी गई हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृत साहित्य समानता को प्रश्रय देता है। सभी अतिथियों, शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों को ऐसे आयोजनों में सक्रिय सहभागिता के लिए साधुवाद दिया। साथ ही कहा कि इस संगोष्ठी में आए सद्विचारों को समाज में लाना हम सबों का दायित्व है। मुख्य अतिथि प्रो. शिवाकांत झा ने संस्कृतवाड्मय में वर्णित मानवाधिकार विषयक विचारों की प्रासंगिकताÞ पर. कहा कि हमारा विशाल संस्कृत साहित्य मानवता को सर्वप्रधान मानते हुए समानता को प्रश्रय देता है। यहां Þवसुधैव कुटुम्बकमÞ के माध्यम से पूरी पृथ्वी को परिवार माना गया है। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:Þ एवं Þअ¨हसा परमोधर्म:Þ का उद्घोष करने वाले यह साहित्य व इसमें व्यक्त विचार आज के युग में पूर्ण प्रासंगिक हैं। यदि इन विचारों का पालन आज समाज में हो तो निश्चय ही मानवाधिकार हनन की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। आज के युग में व्याप्त भ्रष्टाचार, आतंकवाद, सामंतवादी प्रवृति, नारी-उत्पीड़न आदि सभी मानव के अधिकारों के हनन करने वाली प्रवृतियों का नाश हमारे संस्कृत शास्त्र के विचार करने में सक्षम हैं। विशिष्ट अतिथि प्रो. रामवदन यादव ने Þ कर्मण्येवाधिकारते मा फलेषु कदाचनÞ का उद्धरण देते हुए कहा कि हमारा संस्कृत साहित्य कर्म के संपादन में विश्वास रखता है और यहां बतलाए गए अच्छे कर्मों का संपादन कर हम मानवाधिकार की रक्षा करने में सक्षम हैं। डॉ. देवनारायण यादव, निदेशक, मिथिला शोध संस्थान एवं समाज सेवी शोभा शुक्ला ने भी सेमिनार को संबोधित किया और मानवाधिकार रक्षा की बात कही। धन्यवाद ज्ञापन शिक्षाशास्त्र विभाग के निदेशक डॉ. घनश्याम मिश्र ने किया। कार्यक्रम का संचालन संगोष्ठी की संयोजिका डॉ. रीता ¨सह ने किया। प्रथम शैक्षणिक सत्र में 13 प्रतिभागियों ने आलेख पाठ किया। इस सत्र का संयोजन वरुण कुमार झा ने किया। सत्राध्यक्ष प्रो. विनय कुमार चौधरी ने कहा कि आलेखपाठ भी बीएड की पाठ-योजना की तरह है। इसकी पूर्व तैयारी जरूरी है। इससे पहले सेमिनार का उद्घाटन अतिथियों के दीप-प्रज्वलन से हुआ। सभी ने महाराजा कामेश्वर ¨सह की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। वैदिक मंगलाचरण छात्र विरंजन कुमार पांडेय व सत्यम पाठक ने तथा लौकिक मंगलाचरण डॉ.दयानाथ झा, शिक्षक व्याकरण विभाग ने किया। कुलगीत की प्रस्तुति निधि, कृष्णप्रिया, अरुन्धति, प्रियंका गुप्ता और प्रियंका झा तथा स्वागत गान माधवी, मेघा, नीमा, निर्मलाबाला, शालू व रीना ने किया। अतिथियों का स्वागत अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो. श्रीपति त्रिपाठी ने किया। विषय प्रवर्तन के क्रम में उन्होंने मानवाधिकार व संस्कृत शास्त्रों में वर्णित उससे सम्बंधित विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला।