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प्रायोगिक परीक्षा का भी बहिष्कार करेंगे वित्त रहित शिक्षक

दरभंगा। विदित हो कि दरभंगा के तीनों मूल्यांकन केंद्रों पर बिहार राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Mar 2017 01:13 AM (IST)Updated: Wed, 29 Mar 2017 01:36 AM (IST)
प्रायोगिक परीक्षा का भी बहिष्कार करेंगे वित्त रहित शिक्षक
प्रायोगिक परीक्षा का भी बहिष्कार करेंगे वित्त रहित शिक्षक

दरभंगा। विदित हो कि दरभंगा के तीनों मूल्यांकन केंद्रों पर बिहार राज्य वित्त रहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के आह्वान पर इंटरमीडिएट उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य मंगलवार को 14वें दिन भी पूर्णत: बंद रहा। इन मूल्यांकन केंद्रों पर दरभंगा जिले के परीक्षकों ने अलग- अलग जत्थों में सेवा सामंजन नहीं तो मूल्यांकन नहीं, वेतन नहीं तो मूल्यांकन नहीं अभी नहीं तो कभी नहीं आदि नारों के साथ मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया। सबों ने अपनी एकजुटता का इजहार करते हुए यह संकल्प लिया कि जब तक सरकार हमारी मांगें मान नहीं लेती है तब तक मूल्यांकन बहिष्कार का कार्यक्रम निरंतर चलता रहेगा। शिक्षक नेताओं ने कहा कि सरकार के इस रवैए से परीक्षक काफी कुपित हैं। वित्त रहित मोर्चा के आह्वान पर सभी प्राचार्यों से अनुरोध किया गया कि वे इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा का बहिष्कार करेते हुए संघर्ष में अपेक्षित सहयोग प्रदान करें। शिक्षकों का कहना था कि बिहार की जनसंख्या वर्तमान में 12 करोड़ हो गई है। राज्य की जनसंख्या का 1 प्रतिशत से भी कम उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकित है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बिहार दूसरे राज्यों से काफी पीछे है। सुधार के क्रम में सरकार को राज्य में विद्यमान वित्त रहित शिक्षण संस्थाओं की आधारभूत संरचनाओं का विकास करना होगा। साथ ही राज्य सरकार को इन संस्थाओं में कार्यरत शिक्षा कर्मियों की वाजिब मांगों को अविलंब मानकर अपने उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। सरकार को खोई हुई प्रतिष्ठा को पुन: प्राप्त कर उच्च शिक्षा शिक्षा के क्षेत्र में नई छलांग लगाकर बिहार के सतत विकास के सपना को धरातल पर उतार कर एक नए युग का सूत्र पात करना होगा। मूल्यांकन बहिष्कार कार्यक्रम का नेतृत्व जिला संयोजक प्रो. श्यामा कांत कर्ण, सम्बद्ध डिग्री महासंघ की ललित नारायण मिथिला विवि इकाई के महासचिव डॉ. हरीन्द्र किशोर मिश्र, प्रो. सदरुज्जमां, प्रो. कृष्ण मोहन झा, प्रो. चंदन कुमार चौधरी, प्रो. जाहिद अली आदि ने अपने विचार रखे।


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