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संस्कृत में भी रोजगार के अवसर : डॉ.झा

दरभंगा। संस्कृत सप्ताह समारोह के पांचवें दिन रविवार को विशिष्ट अतिथि डॉ. र¨वद्र नारायण झा ने कहा कि

By Edited By: Published: Mon, 31 Aug 2015 12:06 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2015 12:06 AM (IST)

दरभंगा। संस्कृत सप्ताह समारोह के पांचवें दिन रविवार को विशिष्ट अतिथि डॉ. र¨वद्र नारायण झा ने कहा कि मिथिला ज्ञान गौरव विश्व विश्रुत है। यहां जनक, याज्ञवल्यक्य, गौतम, कणाद, मण्डन- उदसन जैसे प्रकाण्ड मनीषयों ने अपनी विद्या-वैभव के द्वारा संपूर्ण विश्व को प्राच्य विद्या के क्षेत्र में अपूर्व योगदान दिया है। दर्शन शास्त्र के अन्तर्गत प्राय: सभी आस्तिक दर्शनों की उत्पति मिथिला में ही हुई है। लेकिन, यही मिथिला अब ज्ञान के क्षेत्र में शिथिल होती दिख रही है, जो अत्यन्त ही दु:खद है। उन्होंने संस्कृत के छात्रों को वेद, व्याकरण, ज्योतिष जैसे प्राच्य शास्त्रों का अभ्यास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा संस्कृत में भी रोजगार के अवसर हैं। कुलपति डॉ. देवनारायण झा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि सघ: भाषण प्रतियोगिता में अपने-अपने पाण्डित्व का जो छात्रों ने प्रदर्शन किया वह वस्तुत: शुभ संकेत है। उन्होंने मिथिला के दर्शन व सांस्कृतिक को बनाए रखने की अपील की। आयोजित प्रतियोगिता में प्रमोद कुमार झा प्रथम, लोकेश केमार झा द्वितीय, अखिलेश कुमार मिश्र तृतीय व रघु कुमार झा को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सत्यवान कुमार थे। वहीं निर्णायक मंडल में डॉ. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. विद्येश्वर झा, डॉ. रेणुका सिन्हा थीं।


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