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डीएमसीएच का सर्जिकल भवन : मौत के मुंह में ¨जदगी की जंग

दरभंगा । सरकार लाख दावा करें लेकिन, हकीकत में स्वास्थ्य महकमा के प्रति इनके सारे दावे खोखले साबित हो

By Edited By: Published: Sun, 02 Aug 2015 01:40 AM (IST)Updated: Sun, 02 Aug 2015 01:40 AM (IST)
डीएमसीएच का सर्जिकल भवन : मौत के मुंह में ¨जदगी की जंग

दरभंगा । सरकार लाख दावा करें लेकिन, हकीकत में स्वास्थ्य महकमा के प्रति इनके सारे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। हाल यह है कि उत्तर बिहार के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान डीएमसीएच के सर्जिकल भवन में सैंकड़ों मरीज, चिकित्सक व चिकित्साकर्मी की ¨जदगी दांव पर लगी हुई है। भवन निर्माण विभाग ने इस भवन को वर्षों पहले जर्जर घोषित कर चुका है। विभाग ने साफ कह दिया है कि सर्जिकल भवन जर्जर हो चुका है। यह कभी भी ध्वस्त हो सकतास है। बावजूद इस मौत के मुंह में सैंकड़ों मरीजों का इलाज हो रहा है। चिकित्सकों के कई बार ना-नुकुर करने के बाद भी प्राचार्य व स्वास्थ्य महकमा के दबाव में वे फिर से अपनी सेवा देने को विवश हो जाते हैं। लेकिन, सरकार सबकुछ जान कर भी हाथ पर हाथ धड़े बैठी हुई है।

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कभी भी ताश के पत्ते की तरह भरभरा सकता है जर्जर भवन

भवन की स्थिति देखने और भवन निर्माण विभाग के पत्र को माने तो सर्जिकल बि¨ल्डग कभी भी गिर सकता है। यह बात तब की है जब यहां भूकंप नहीं आया हुआ था। भूकंप के बाद भवन निर्माण विभाग के पदाधिकारी कुछ भी कहने से परहेज कर रहे हैं। पदाधिकारी दबी जुबान में कहते हैं कि भवन के तमाम पाइ¨लग में दरार पड़ चुकी है। दीवारें दरक चुकी हैं। छत चूती है। शौचालय जाम पड़ा हुआ है। बाथरूम में पहुंचने वाला पानी का पाइप लाइन अनगिनत जगह से लीक कर रहा है। इस स्थिति में इस भवन का भगवान ही मालिक है।

रोज गिर रहा है भवन का छज्जा

सर्जिकल भवन के छज्जे व पलास्टर रोज टूट-टूटकर गिर रहे हैं। कुछ साल पहले तक जिस दिन छज्जा गिरता था। उस दिन सर्जिकल भवन का काम काज प्रभावित हो जाता था। लेकिन, आज के दिन में छज्जा गिरना रोज की बात हो गई है। छज्जा गिरने पर अब लोग ध्यान भी नहीं देते हैं। हां इतना जरूर है कि छज्जा गिरने के बाद क छ देर के लिए अफरा-तफरी जरूर मचती है। लेकिन, चिकित्सक, चिकित्साकर्मी और मरीज के पास दूसरा कोई चारा नहीं है। गरीब मरीज यहां इलाज कराने को मजबूर हैं। वहीं अन्य लोगों को नौकरी जो करनी है।

भूकंप के बाद प्रशासन ने भवन को कराया था खाली

25 अप्रैल को आए विनाशकारी भूकंप के बाद जिला प्रशासन ने आनन-फानन में एनडीआएफ की टीम बुलाकर इस भवन से मरीजों को विभिन्न वार्ड में शिफ्ट किया था। सर्जिकल भवन के खाली होने से एक महीने तक सभी ओटी में ताला लटका रहा था। इसके कारण करीब एक महीने तक सीसीडब्ल्यू, सर्जरी और आर्थो विभाग के मरीजों को ईएनटी, आंख व मेडीसीन वार्ड में समय गुजारना पड़ा था। एक महीने में सैंकड़ों मरीजों का ऑपरेशन टालना पड़ा था। अंतत: प्राचार्य की पहल पर इस भवन में फिर से मरीजों को शिफ्ट किया गया। जिससे मरीजों ने राहत की सांस ली।

भवन को कामचलाउ बनाने की कवायत शुरू

सरकार ने डीएमसीएच के जर्जर सर्जिकल भवन को फिर से कामचलाउ बनाने की कवायत शुरू कर दी है। इसके लिए पटना से इंजीनियर की एक टीम भवन का जायजा लेकर जा चुकी हैं। बताया जाता है कि भवन को कामचलाउ बनाने के लिए रिपेय¨रग का काम होगा। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने वाली है।

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नया भवन बनने तक सर्जिकल भवन को कामचलाउ बनाने की प्रक्रिया शुरू होने वाली है। इसके लिए पटना से इंजीनियर की एक टीम भवन का जायजा ले चुकी है। जल्द ही रिपेय¨रग के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होने वाली है। उम्मीद की जाता है कि छह महीने के अंदर भवन का रिपेय¨रग का काम हो जाएगा।

डॉ. संतोष कुमार मिश्र

डीएमसीएच अधीक्षक


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