कलेक्ट्रेट में खड़ी बाइक से 2.20 लाख गायब
दरभंगा। समाहरणालय में खड़ी बाइक की डिक्की तोड़ 2.20 लाख रुपये गायब करने का वाकया सामने आया है। शुक्रवा
दरभंगा। समाहरणालय में खड़ी बाइक की डिक्की तोड़ 2.20 लाख रुपये गायब करने का वाकया सामने आया है। शुक्रवार को मुखिया पति की शिकायत पर लहेरियासराय थाना पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। एसएसपी अजीत कुमार सत्यार्थी ने कहा कि घटना की छानबीन कर अविलंब कार्रवाई का आदेश दिया गया है। कलेक्ट्रेट में लगे सीसीटवी फुटेज से वास्तविकता सामने आने की पुलिस को उम्मीद है। बहेड़ा थाने के विश्वनाथपुर के रहने वाले मो.मोफीद का कहना है कि किसी योजना से संबंधित जानकारी के लिए कलेक्ट्रेट आए हुए थे। जिला समान्य शाखा के सामने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी कर रखी थी। लौटने पर डिक्की खुली हुई मिली और पैसे गायब थे। मुखिया पति के मुताबिक वह सरकारी राशि है। केनरा बैंक से पैसे निकालकर जरूरी काम निपटाकर कलेक्ट्रेट पहुंचे थे। अब सवाल उठता है कि सरकारी राशि कैश में लेकर वह इधर-उधर घूम क्यों रहे थे। पुलिस को इस बात का भी संदेह है कि कहीं पैसा डकारने की नीयत से तो ऐसा नहीं किया गया है। थानाध्यक्ष जयप्रकाश ¨सह ने कहा कि ऐसे तमाम तरह के संदेह जरूर उत्पन्न होते हैं, लेकिन अब तो जांच के बाद ही वास्तविकता सामने आएगी।
बेनीपुर से तीन लाख उड़ाने पर भी संदेह
बेनीपुर अनुमंडल कार्यालय के समीप मंगलवार की देर शाम कमलपुर निवासी शंभू मुखिया की मोटरसाइकिल की डिक्की से तीन लाख रुपये गायब होने पर भी पुलिस को संदेह हो रहा है। डीएसपी अंजनी कुमार ने स्वयं घटना की जांच की है। उनकी जांच में प्रथम ²ष्टया मामला संदेहास्पद प्रतीत होता है। एसएसपी ने इस बारे में भी कहा कि जैसा की डीएसपी का कहना है कि उन्होंने खुद घटनास्थल का मुआयना किया है। आसपास के लोगों से जानकारी ली है। लेकिन, कोई भी इस तरह की घटना की गवाही नहीं दे सका है। लिहाजा, मामला संदेहास्पद लगना स्वाभाविक है। हालांकि, उस मामले में दूसरे स्तर पर भी जांच-पड़ताल चल रही है। गौरतलब है कि शंभू मुखिया ने बहेड़ा थाने में केस दर्ज कराया है। उनका कहना है कि एक्सीस बैंक, दरभंगा शाखा से तीन लाख रुपये निकालकर ग्रामीण विजय ¨सह के साथ घर लौट रहे थे। रास्ते में बेनीपुर अनुमंडल कार्यालय के समक्ष पानी पीने के लिए एक होटल के सामने अपनी मोटरसाइकिल खड़ी की। पानी पीकर आए तो बाइक की डिक्की खुली थी। तीन लाख रुपये व कुछ कागजात गायब थे। पता चला कि मत्स्यजीवी सहयोग समिति की यह सरकारी राशि थी। ऐसे में पुलिस को संदेह होना लाजिमी है।