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छटपटाते रहे मरीज, सुनने वाला नहीं था कोई

गुंजन कुमार, दरभंगा : सेंट्रल इमरजेंसी वार्ड में बुधवार की रात इलाज के दौरान एक महिला मरीज की मौत के

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 01:11 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 01:11 AM (IST)

गुंजन कुमार, दरभंगा : सेंट्रल इमरजेंसी वार्ड में बुधवार की रात इलाज के दौरान एक महिला मरीज की मौत के बाद हुए बवाल को लेकर जेडीए की हड़ताल के कारण डीएमसीएच में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थी। इलाज के अभाव में तीन मरीजों की मौत हो गई। गुरुवार को मरीज दर्द से कराहते रहे। लेकिन, उन्हें देखने वाला कोई नहीं था। इस कारण भर्ती मरीजों का पलायन शुरू हो गया। वहीं इमरजेंसी वार्ड व आउटडोर में तालाबंदी के कारण आज सैकड़ों मरीजों को अस्पताल से मायूस होकर लौटना पड़ा। हालांकि, आउटडोर को जिस समय बंद करवाया गया, उस वक्त मरीजों की भारी भीड़ लगी थी। एकाएक जेडीए द्वारा आउटडोर को बंद कराने के कारण वहां कुछ देर के लिए अफरा-तफरी मच गई। देखते ही देखते आउटडोर में वीरानगी छा गई। आउटडोर में डॉक्टर के नहीं मिलने के कारण ¨सहवाड़ा की रेशमा देवी ने कहा कि वह पिछले दस दिनों से सीने के दर्द से परेशान थी। पैसे के अभाव में वह डीएमसीएच नहीं आ पा रही थी। पचास रुपये व्यवस्था करने के बाद आज वह किसी तरह यहां पहुंची। लेकिन, डॉक्टर साहेब सब बाहर निकाल गेलखिन। रेशमा ने बताया कि शायद अब फिर वह डीएमसीएच नहीं आ पाएगी।

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इधर, इमरजेंसी वार्ड में पहुंचे लगभग तीन दर्जन गंभीर मरीजों को लौटा दिया गया। हालांकि, इनमें से कई मरीजों के परिजन चिकित्सकों से मिन्नते करते रहे कि आखिर उनकी क्या गलती है। उनके मरीजों की तो जान बचा लीजिए। लेकिन, उनकी गुहार कोई सुनने को तैयार नहीं था। इधर, हड़ताल के कारण आज पहले ही दिन मरीजों का पलायन शुरू होने लगा। पलायन कर रहे मरीजों में से कई के परिजनों ने बताया कि हड़ताल के समय डीएमसीएच में रहने का मतलब मौत को दाबत देना है। इसलिए वह अपने मरीज को निजी नर्सिंग होम ले जा रहे हैं। -------------------

मर जैते हमर बच्चा हो डॉक्टर बाबू, बचा लिय

दरभंगा, जासं : ट्रैक्टर दुर्घटना में गंभीर रूप से जख्मी सहरसा जिले के मुरादपुर निवासी भूषण कुमार ठाकुर को उसके पिता सुधीर ठाकुर व मां 1099 एम्बुलेंस से लेकर गुरुवार को दिन के करीब 2 बजे डीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड पहुंचे। हड़ताल के कारण उनके मरीज को कोई एम्बुलेंस से उतारने वाला तक नहीं था। मरीज एम्बुल ंस पर मरन्नासन्न हालत में पड़ा था। उसके पिता व मां दहाड़ मारकर रो रहे थे। दोनों कह रहे थे कि हो डॉक्टर साहेब हमर बच्चा मर जैते। ओकरा के बचा लिय हो डॉक्टर साहेब। इसके बाद भी किसीकी संवेदना नहीं जागी। अंतत: एक घंटे गुहार लगाने के बाद परिजन मरीज को लेकर डीएमसीएच से रोते-विलखते व्यवस्था को कोसते वापस हो गए।------------

दर्द से कराह रही महिला छटपटाते लौटी

दरभंगा, जासं : बलहा गांव की ¨रकी देवी पेट के दर्द से कराहते रिक्शा से परिजनों के साथ इमरजेंसी वार्ड आई। परिजन उसे रिक्शा से उतारकर इमरजेंसी वार्ड में ले जा रहे थे। गार्ड ने परिजनों को इमरजेंसी गेट पर अंदर जाने से रोक दिया। परिजनों ने कहा मरीज की हालत खराब है। जल्दी से डाक्टर साहब को दिखाना है। गार्ड ने कहा हड़ताल है देखते नहीं हैं। परिजन मिन्नते करते रहे कि हड़ताल है तो मरते हुए मरीज को भी डॉक्टर साहब नहीं देखेंगे। लेकिन, कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था। अंत में दर्द से कराहते मरीज को रिक्शा से वापस नर्सिंग होम ले जाना पड़ा। इसी तरह का हाल इमरजेंसी वार्ड में दर्जनों मरीजों के साथ हुआ।-------------

ऐसी वारदात, नहीं होगी बर्दाश्त : जेडीएदरभंगा, जासं : जेडीए के सदस्यों ने बताया कि वे लोग हर हमेशा मरीजों की सेवा में लगे रहते हैं। इसके बाद भी उन्हीं लोगों को निशाना बनाया जाता है। सदस्यों ने बताया कि बुधवार को जिस मरीज की मौत के बाद परिजनों ने बवाल किया। चिकित्सकों व कर्मी की पिटाई की। वह मरीज हार्ट अटैक के कारण सॉक में थी। उसका पल्स व बीपी नहीं काम कर रहा था। इलाज के दौरान मरीज की हिस्ट्री बताने वाला कोई नहीं था। इस बीच रात 10 बजे शिफ्ट चेंज हुआ। शिफ्ट चेंज होने पर दूसरे डॉक्टर आए ही थे। इसी बीच महिला की तबीयत और बिगड़ गई। बुलाने पर चिकित्सक वहां बिना देर किए पहुंचे। मरीज को देख ही रहे थे कि मरीज ने दो बार हिचकी ली और दम तोड़ दिया। इसके तुरंत बाद दो दर्जन की संख्या में आए लोग बवाल काटने लगे। जो जहां था। उसकी पिटाई होने लगी। चिकित्सक जान बचाने के लिए बाथरूम में छिपे। लेकिन, वे लोग कमरे को तोड़ चिकित्सक व कर्मी की पिटाई कर दी।

---------------- डीएमसीएच बवाल मामले में दोनों ओर से प्राथमिकी

दरभंगा, जासं : डीएमसीएच बवाल मामले में बेंता ओपी में दोनों ओर से अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है। डीएमसीएच की ओर से अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष कुमार मिश्रा के आवेदन पर दर्ज प्राथमिकी में कहा गया है कि बुधवार की रात इलाज के दौरान एक महिला मरीज मरियम खातून की मौत हो गई। मौत के बाद मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा मचाया और जर्बदस्त तोड़-फोड़ की। वहीं मृतका के पुत्र मो. इम्तेयाज ने इमरजेंसी वार्ड में डयूटी पर तैनात चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। दर्ज प्राथमिकी में कहा है कि इलाज के अभाव में उसकी मां का इंतकाल हो गया। उसने कहा कि इलाज के लिए उसकी मां छटपटाती रही, लेकिन बुलाने पर भी कोई चिकित्सक देखने नहीं आए। तड़प-तड़पकर उसकी मां ने दम तोड़ दिया। मरने के बाद एक चिकित्सक लाश में सूई चुभो रहे थे। पूछने पर डांटने लगे और धक्का देकर बाहर करने बे बाद पिटाई शुरू कर दी।

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मृतका के पति की मौत के बाद भी डीएमसीएच में हुआ था बवाल

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इलाज के दौरान इमरजेंसी वार्ड में कथित लापरवाही को ले बुधवार की रात मरियम की मौत के बाद हुए बवाल के कारण जेडीए के हड़ताल से अस्पताल की व्यवस्था पटरी से उतर गई थी। इससे पहले करीब एक साल पूर्व उनके पति निजामउद्दीन खां की मौत भी डीएमसीएच में हुई थी। इनकी मौत के बाद भी डीएमसीएच में बवाल हुआ था।


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