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यहां खुद खौफ में रहते हैं सुरक्षा देने वाले

बक्सर। आम लोगों की सुरक्षा में दिन रात मुस्तैद चक्की ओपी पुलिस खुद असुरक्षा की भावनाओं से घिर

By Edited By: Published: Mon, 08 Feb 2016 03:06 AM (IST)Updated: Mon, 08 Feb 2016 03:06 AM (IST)
यहां खुद खौफ में रहते हैं सुरक्षा देने वाले

बक्सर। आम लोगों की सुरक्षा में दिन रात मुस्तैद चक्की ओपी पुलिस खुद असुरक्षा की भावनाओं से घिरी हुई है। अपने स्थापना काल से ही टूटे फुटे फूसनुमा झोपड़ी में चल रहे इस आउट पोस्ट के जवानों को हमेशा किसी अनहोनी की आशंका सताती रहती है। ओपी परिसर खुला एवं असुरक्षित होने के चलते पुलिस बल के जवानों के हथियारों के असमाजिक तत्वों के हाथों लगने की संभावना हमेशा बनी रहती है। बरसात के दिनों में तो स्थिति और भी विकट हो जाती है। रात में बारिश होने की स्थिति में पुलिस कर्मी रतजगा कर किसी तरह रात गुजारने को विवश होते हैं। क्योंकि, वर्षा होने पर प्लास्टिक एवं तीरपाल से तने झोपड़ीनुमा आशियाने से रात भर पानी टपकता रहता है। परिसर में विषैले जीव जन्तुओं का प्रकोप इस कदर बढ़ जाता है कि उनके काटने के भय से पुलिस कर्मी हमेशा खौफ•ादा रहते हैं।

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तीन दशक पूर्व हुई थी स्थापना

दियरा क्षेत्र में आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से तीन दशक पूर्व चक्की के लहना डेरा स्थित भाड़े के एक निजी मकान में इस ओपी की स्थापना हुई थी। जानकारों की मानें तो, दो वर्ष वहां चलने के बाद मकान मालिक से खटपट तथा चक्की के किसी अन्य डेरों पर जगह नहीं मिलने के कारण दो वर्ष बाद ही ओपी को चन्दा पंचायत के भरियार ग्राम में स्थानान्तरित कर दिया गया। तब से यह ओपी भरियार में ही किराये के एक झोपड़ी में संचालित हो रहा है।

सुविधाओं का है घोर अभाव

पुलिस कर्मियों के लिए सुविधा के नाम पर मात्र एक चापाकल एवं दो शौचालय परिसर में अवस्थित है, जो स्थानीय ग्रामवासियों के सहयोग से उपलब्ध करवाया गया है। ओपी में किचेन शेड की सुविधा नदारद है। इसके अभाव में पुलिस कर्मियों का भोजन खुले में ही बनता है। खुले में भोजन बनाने के चलते परिसर में आगजनी की संभावना हमेशा बनी रहती है। हालांकि, सुविधा के नाम पर ओपी के पास गश्ती के लिये अपना एक चारपहिया वाहन मौजूद है।

डेढ़ सौ रुपये दिया जाता है किराया

तकरीबन नौ डिसमील के बड़े भू-भाग में फैले इस आोपी के जमीन मालिक को किराये के रुप में मात्र डेढ़ सौ रुपये मासिक भुगतान किया जाता है, जो काफी हास्यपद लगता है। तीस वर्षों का लंबा वक्त गुजर गया। इस दौरान बहुत सारे वस्तुओं के कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई। मगर, आसमान छू रही मंहगाई के इस दौर में जमीन मालिक को मात्र डेढ़ सौ रुपये के किराये से ही संतोष करना पड़ता है। वैसे किराया बढ़ोतरी को लेकर भू-मालिक द्वारा उच्च अधिकारियों से अक्सर गुहार लगाई जाती है, पर नतीजा हमेशा सिफर रहता है।

प्रशासनिक उपेक्षा का बना शिकार

बड़े आश्चर्य की बात है कि तीस वर्षों का लंबा सफर तय करने के बावजूद यह ओपी आज भी विकास से कोसों दूर है। प्रशासनिक अनदेखी का शिकार यह ओपी इक्कीसवीं सदी में भी भवन अपना एक अदद भवन के लिये तरस रहा है। वैसे देखा जाय तो इसका सीमित कार्य क्षेत्र भी विकास में बड़ी रुकावट मानी जाती है। क्योंकि चार पंचायतों वाले चक्की प्रखण्ड का जवहीं पंचायत ब्रह्मपुर थानान्तर्गत तथा अरक पंचायत कृष्णाब्रह्म थानान्तर्गत पड़ता है। बाकी की शेष दो पंचायतें क्रमश: चक्की एवं चन्दा इसके अन्तर्गत आती हैं। हालांकि, इस समस्या के निदान के लिये ओपी की तरफ से वरीय अधिकारियों को अक्सर आवेदन दिया जाता है। परन्तु, उसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकल पाता है।

वर्तमान में तैनात पुलिस कर्मी:

थानेदार - 1, जमादार - 2 मुंशी -1, सिपाही -4, गृह रक्षक- 5, चालक -1

कहते हैं अधिकारी

भूमि उपलब्धता के संबंध में सीओ सहित जिले के आला अधिकारियों को लिखित तथा मौखिक रुप से हमेशा अवगत कराया जाता है। मगर, किसी के रुचि नहीं लेने के कारण मामला जस का तस बना हुआ है।

नारदमूनी ¨सह, ओपी प्रभारी चक्की, बक्सर।


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