बजट में सात निश्चय के प्रावधानों का हुआ स्वागत
बिहार के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष शिक्षा पर राशि में हुई बढ़ोतरी।
बक्सर : बिहार के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष शिक्षा पर राशि में हुई बढ़ोतरी का लोगों ने स्वागत किया है। वहीं, कुछ लोगों ने बजट में सुधार की जरूरत पर भी बल दिया है। कुछ लोगों ने महिलाओं के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं किए जाने की शिकायत की है तो व्यवसाय से जुड़े लोगों ने उद्यमियों के हित का बजट बताया है।
- इस बार के बजट में आम लोगों के लिए कुछ विशेष प्रावधान नहीं दिया गया है। वैसे चालु वित्तिय वर्ष में युवाओं के लिए रोजगार की बातें की जा रही हैं। अब यह तो आने वाला समय हीं बताएगा कि कितनों को राजगार के अवसर हासिल होते हैं।
मनोज कुमार ¨सह, अभिकर्ता।
- समाचार पत्रों में बजट की जानकारी दी गई है। पढ़कर यही लग रहा है कि इस बार सरकार का विशेष ध्यान मुख्य मंत्री के सात निश्चय तक ही सीमित होकर रह गया है। स्वास्थ के क्षेत्र में कटौती करना जरूरी नहीं था। बजट को विकास आधारित ही होना चाहिए।
उदयशंकर प्रसाद, व्यवसाई।
इस बार का बजट सकारात्मक है। गत वर्ष की तुलना में इस बार बजट का दायरा बढ़ा है। सड़क, शिक्षा आदि के लिए ज्यादा पैसों का आवंटन किया गया है जिससे नागरिक सुविधाएं बढ़ेंगी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में की गई कटौती जरूर अखर रही है।
-डा.बी.नाथ, चिकित्सक।
- हम जैसे छोटे व्यसायियों को बजट से क्या लेना-देना है। कीमतें बढ़ेंगी तो सामान का मूल्य बढ़ाकर बेचेंगे, और यदि कम होती हैं तो घटाकर बेचना है। इससे अधिक हम जैसे लोगों को बजट से कोई मतलब नहीं है। ये सब बातें तो बड़े उद्यमी और बड़े व्यवसायियों के लिए हैं।
--महेश वर्मा, व्यवसाई
- इस बार के बजट में आम लोगों की जरूरतों पर कम ध्यान देते हुए सिर्फ मुख्यमंत्री के वादों पर ध्यान केंद्रित रखा गया है। इसमें उद्योग जगत के लिए जितनी राशि दी गई है वो पर्याप्त नहीं कही जाएगी। विकास कार्यों पर खर्च बढ़ाया तो गया है। पर यह अपर्याप्त लग रहा है। युवाओं के लिए और भी अधिक नौकरियों के अवसर होने चाहिए थे।
--नागेंद्र प्रसाद, व्यवसाई।
- इस बार के बजट में आम व्यवसायियों के लिए कुछ खास नहीं है। उद्योगपतियों के लिए जरूर कुछ प्रावधान किए गए हैं पर, आम लोगों की जरूरतों को नजरअंदाज कर दिया गया है। बजट में विकास की बातें तो जरूर की गई हैं।
--सोनू वर्मा, व्यवसाई।
- बिहार राज्य असंगठित क्षेत्र अर्थव्यवस्था वाला राज्य है। फिलवक्त राज्य की अर्थव्यवस्था वाला सेक्टर कृषि है। बावजूद सरकार ने कृषि सेक्टर के लिए बजट में मात्र 26 सौ करोड़ की व्यवस्था की है। सरकार का जितने का बजट है। उतना ही बिहार पर कर्ज भी है। इसीलिए सरकार का बजट रोजगारन्मुखी व संतोषजनक नहीं प्रतीत होता है।- सत्यनारायण प्रसाद, डुमरांव ।
शराबबंदी से घाटा और नोटबंदी से तत्कालिक बढ़ी असुविधाओं के बाद भी विकास दर 7.61 के अनुपातिक विकास के परि²श्य में आर्थिक संतुलन को कायम रखने वाला बजट है। इसका फायदा शिक्षित महिला व युवाओं को मिलेगा। घोटाले की दर में कमी आने की संभावना दिखती है। इन्होंने कहा कि बजट का असली स्वरूप जीएसटी लागू होने पर ही दिखाई पड़ सकता है। अधिवक्ता शंभूशरण नवीन।
सरकार द्वारा पेश बजट को देखने से प्रतीत होता है कि सरकार के सामने कई तरह की चुनौतियां है। जिनका सामना करना पड़ेगा। राज्य में इंजीनिय¨रग कॉलेजों की स्थापना, ¨सचाई की उन्नत व्यवस्था, सभी छात्र-छात्राओं के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था आदि को लेकर खरा उतरना चुनौतीपूर्ण है। श्रद्धानंद तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता।
युवा कृषक उमेश राय ने कहा कि सबसे बदहाल स्थिति शिक्षा विभाग की है और सरकार ने सबसे अधिक पैसा शिक्षा के क्षेत्र में लगाने का प्रावधान किया है। जबकि, तुलनात्मक रूप से देखा जाए तो कृषि जगत के लिए भी अच्छी राशि का प्रावधान बजट में किया गया है। भरत मिश्रा, सामाजिक कार्यकर्ता।