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जीवनभर नहीं भूल पायेंगे मासूमों की जलसमाधि

ब्रह्मपुर (बक्सर) : प्राचीन शिवसागर तालाब में सोमवार की सुबह हुई ह्रदय विदारक घटना को ताउम्र नही

By Edited By: Published: Tue, 04 Aug 2015 07:04 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2015 07:04 PM (IST)
जीवनभर नहीं भूल पायेंगे मासूमों की जलसमाधि

ब्रह्मपुर (बक्सर) : प्राचीन शिवसागर तालाब में सोमवार की सुबह हुई ह्रदय विदारक घटना को ताउम्र नहीं भूल पायेंगे ब्रह्मपुरवासी। विधि का ऐसा क्रूर मजाक किसी के साथ होते अपनी आंखो से नहीं देखे थे लोग। उस खौफनाक मंजर को याद कर हर किसी की आंखे छलक जा रही हैं।

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हमेशा कोलाहल से भरा रहनेवाला तालाब भी मंगलवार को शांत चित हो ऐसा दिख रहा था कि उसके भी आंसू थम नहीं रहें हों। घटना के बाद लोग प्रशासन को ही कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। इस घटना के पीछे कई सवाल सामने आ रहे हैं। सोमवार को मंदिर में पूजा करने आये चन्नू यादव के परिजन अपने पांच बच्चों को सुरक्षा के लिहाज से बोलेरो गाड़ी में बंद कर मंदिर चले गये। इधर, बच्चों ने अज्ञानतावश गाड़ी का गियर छुडा़ दिया और बोलेरो लुढ़क कर तलाब में चली गयी। इसमें गाड़ी में सवार पांच बच्चों की मौत हो गयी।

सडक निर्माण बना अभिशाप मंदिर के आसपास के लोगों ने बताया कि दो-ढाई साल पूर्व मंदिर के पास सड़क तालाब से ढाई तीन फीट नीचे थी। जो एक तरह से बैरीके¨टग का काम करता था। जब सूबे के मुख्यमंत्री यहां दौरा पर आने वाले थे तो जिला प्रशासन द्वारा आननफानन में उस सडक का निर्माण कराया गया था। उस समय स्थानीय लोगों द्वारा निर्माण के साथ बैरीके¨टग की मांग की गई थी। लेकिन, प्रशासन ने इसकी अनदेखी की। जिसका परिणाम सबके सामने है।

मंदिर में पसरा सन्नाटा

वैसे तो सालों भर बाबा भेालेनाथ के दरवार में भक्तों का जमावडा़ लगा रहता है। लेकिन, कल की घटना के बाद मंदिर से लेकर तालाब तक के क्षेत्र में शिवभक्तों की आने वाली संख्या में भारी गिरावट देखी जा रही है। इसका सीधा असर दुकानदारों के उपर हुआ है। जो एक माह तक इसी आशा में अपनी दुकान लगाते हैं कि सावन में बेहतर आमदनी से बाकी दिनों की अपनी दिनचर्या ठीक रख पायेंगे। लेकिन, सोमवार को तालाब में हुई अनहोनी घटना के बाद दुकानदारों की सारी आशाएं धूमिल होती दिखाई दे रही है। तालाब के किनारे खडी़ मनहूस बोलेरो को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे थे।

जान बचाने को हाथ हिला रहे थे मासूम

बच्चो के निकालने के प्रयास के लिये गाडी़ के पास गये नाटा मियां, सोनू पान्डेय, शम्भु ¨सह का कहना है कि ये अफसोस उनको जिन्दगी भर नहीं जा पायेगा की बच्चे अन्दर से हाथ के इशारे से बचाने की गुहार लगा रहे थे। लेकिन, हमलोग उनको ¨जदा नहीं बचा पाये। हमलोग निकालने में भी तब कामयाब हो पाये जब पांचों मासूमों की जिन्दगी काल के गाल में समा चुकी थी। पूर्व विधायक के मांगों पर अगर जिला प्रशासन ने ध्यान दिया होता तो शायद इस घटना की पुनरावृती नहीं होती। पूर्व विधायक डा. स्वामीनाथ तिवारी ने इसी साल के फरवरी में अपनी 32 सूत्री मांगों के लेकर बिहरा घाट पर जो अनिश्चितकालीन अनशन किये थे। उसमें इस तालाब की सफाई और चाहरदिवारी का भी गंभीर मुददा शामिल था। जिस समय अनशन समाप्ति के लिये प्रशासन द्वारा उनसे वार्ता किया गया था। उसमें दो माह के अन्दर इसे पूरा करने का आश्वासन दिया गया। लेकिन, अनशन टूटने के साथ ही वायदा भी टूट गया।


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