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'बुद्धि के बगैर व्यर्थ है धन-बल, रुप, वैभव'

जागरण संवाददाता, बक्सर : व्यक्ति के पास सबकुछ रहे। लेकिन अगर बुद्धि न रहे तो सब बेकार है। धन, वैभ

By Edited By: Published: Fri, 17 Apr 2015 08:24 PM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2015 08:24 PM (IST)
'बुद्धि के बगैर व्यर्थ है धन-बल, रुप, वैभव'

जागरण संवाददाता, बक्सर : व्यक्ति के पास सबकुछ रहे। लेकिन अगर बुद्धि न रहे तो सब बेकार है। धन, वैभव, बल, रूप सब कष्ट देने लगते हैं। जब बिना विचारे कार्य किया जाता है तो व्यक्ति कितना भी संपन्न क्यों न हो। अगर वह बुरी लतों का शिकार हो जाता है तो उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है। चार बुरी आदतें महत्वपूर्ण हैं। शराब, वेश्यावृति, हिंसावृति और कोर्ट कचहरी का चक्कर। उक्त बातें शुक्रवार को कथा के दौरान पूज्य जीयर स्वामी जी महाराज ने कही।

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जिला मुख्यालय से सटे अहिरौली में चल रहे कथा संवाद के दौरान उन्होंने कहा कि एक वक्त ऐसा आया जब भगवान इस धरा से चले गए। 128 वर्ष की आयु में भगवान वासुदेव जी महाराज वापस लौट गए। उनको एक बहेलिए ने मारा। वे यहां से चले गए। जब यह सूचना युद्धिष्ठिर को मिली तो उन्होंने बालक परीक्षित को राजा बना स्वर्गारोहण की यात्रा प्रारंभ की। कुंती ने भी प्राण त्याग दिए। स्वर्ग अकेले युधिष्ठिर ही पहुंच सके। अन्य उनके पांचों भाई रास्ते में ही गिर पड़े। जब वे स्वर्ग पहुंचे तो उन्होंने देखा कि उनके चारों भाई स्वर्ग में भी कष्ट भोग रहे हैं। यह कष्ट देख उनके मन में सवाल हुआ ऐसा क्यों हो रहा है। उनको जवाब मिला। आपके एक झूठ के कारण ऐसा हो रहा है। वहां भगवान कृष्ण ने बताया कि प्राण रक्षा, पुत्री के विवाह, दुष्ट को दंड देने के लिए बोला गया झूठ गलत नहीं है।


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