निधन पर साहित्यकार जगत में शोक
जागरण संवाददाता, बक्सर : भोजपुरी साहित्य के पुरोधा चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह के शुक्रवार को हुए अ
जागरण संवाददाता, बक्सर : भोजपुरी साहित्य के पुरोधा चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह के शुक्रवार को हुए असामयिक निधन की खबर लगते ही भोजपुरी साहित्यकार जगत में शोक व्याप्त हो गया। उन्होंने लगभग दो दर्जन से अधिक अपनी लिखित पुस्तकें प्रकाशित कराई हैं। वे 75 वर्ष के थे।
श्रीचौधरी के निधन पर अरूणोदय प्रकाशन व भोजपुरी साहित्य मंडल के संयुक्त बैनर तले आयोजित शोक सभा में लोगों ने उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि कर तथा दो मिनट का मौन रख उन्हें श्रद्धांजलि दी। सभा की अध्यक्षता डा.अरूण मोहन भारवि ने की। इस दरम्यान लोगों ने कहा कि श्रीचौधरी स्वभाव के अक्खड़ व मन के फक्खड़ थे। उनकी रचनाओं में भोजपुरी सेवी साहित्यकार (चार भाग) माटी के गमक, एगो नया सूरज, आदमियत, साक्षात लक्ष्मी, आरोही हजारा मुख्य हैं। गजलकार, नाटककार, कहानीकार के साथ-साथ वे एक अच्छे समीक्षक भी थे। लोगों ने कहा कि उनके निधन से एक युग का अंत हो गया। सभा में रामजी पांडेय अकेला, गोविंद प्रसाद जायसवाल, रामेश्वर मिश्र 'विहान', वशिष्ठ पांडेय, महेश्वर ओझा, शिव बहादुर पांडेय, विष्णु तिवारी, संजय सागर, उमेश पाठक, रवि, राकेश सिंह आदि मौजूद थे।