'गौ-गंगा पहचान ही नहीं मानव समुदाय की जननी'
ब्रह्मापुर (बक्सर) : गौ और गंगा से ही भारतीय संस्कृति की शुरूआत और अंत होती है। जिस घर-परिवार और समा
ब्रह्मापुर (बक्सर) : गौ और गंगा से ही भारतीय संस्कृति की शुरूआत और अंत होती है। जिस घर-परिवार और समाज में गौ और गंगा पूजनीय नहीं है। वह कभी विकास और संस्कृति का धरोहर नही हो सकता। इसलिए गौ और गंगा को राष्ट्रीय धरोहर बनाने के लिये सभी को संकल्पित होना होगा।
उक्त बातें गौ बचाओ संस्कृति के अंतर्राष्ट्रीय संत गोपालमणी जी महाराज ने प्रखंड के तेज पांडेयपुर में आयोजित एक दिवसीय गौ, गंगा बचाओ सम्मेलन में प्रवचन देते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि गौ और गंगा हमारी पहचान मात्र ही नही बल्कि ये पूरे मानव समुदाय की जननी है। इनके बिना मानव जीवन की कल्पना करना बेमानी है। हमारे देश की आजादी के समय कई करोड़ गायों की संख्या थी। लेकिन, आज इनकी संख्या मात्र 8 करोड़ पर सिमट गई है। जो कि सनातन धर्मावलंबियों लिये एक सोचनीय विषय है। अगर समय रहते इस पर ध्यान नही दिया गया तो भारतीय संस्कृति की पहचान गौ माता इस देश से पूरी तरह से मिट जाएगी। जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के लिये बहुत घातक सबित होगा। इस लिये मै विश्वामित्र के इस तपोभूमि से आह्वान करता हूं कि गौ और गंगा को बचाने के लिये हर भारतीय को आगे आकर अपनी जिम्मेवारी उठाने का संकल्प लेना होगा। जिसका उपस्थित समुदाय ने हाथ उठाकर तालियों की गड़गड़ाहट से जोरदार स्वागत किया। इनके साथ मंच पर विराजमान सीताशरण जी महराज और राधाकृष्ण मंदिर के पीठाधीश्वर उद्धव प्रपन्ना जी महाराज ने भी गौ बचाओ अभियान का आह्वान किया। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर व्यापक पैमाने पर कार्यक्रम स्थल पर पुलिस बल की तैनाती की गई थी। कार्यक्रम में पहुंचे कला व संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने कहा कि वह भोजपुरी के संवर्द्धन के लिए काम करते रहेंगे। मौके पर अंचलाधिकारी सुनिल कुमार उपाध्याय और थानाध्यक्ष गोरख राम सुरक्षा व्यवस्था का कमान संभाले ड्यूटी बजा रहे थे। कार्यक्रम को सुनने और देखने के लिये स्थानीय गाव के अलावा दूरदराज से बडी संख्या में महिलाएं और पुरूष पहुंचे थे। कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया।