सिंचाई को नहरों में पानी की किल्लत यथावत
भोजपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाले शाहाबाद प्रक्षेत्र में यूं तो सिंचाई की सुविधा के नाम पर
भोजपुर। धान का कटोरा कहे जाने वाले शाहाबाद प्रक्षेत्र में यूं तो सिंचाई की सुविधा के नाम पर सोन नहरों का जाल बिछा दिया गया है। मगर इन नहरों में पर्याप्त पानी शायद ही कभी मिलता है।
नहरों के उपरी छोर पर स्थित खेतों की सिंचाई ले देकर किसी तरह हो जाती है लेकिन पर्याप्त पानी के अभाव में निचले छोर पर स्थित खेत सिंचाई न होने की वजह से हर साल परती रह जाते हैं। कभी-कभी तो यहा के किसान वर्षा के पानी या दूसरे जुगाड़ से खेतों में फसल लगा देते हैं पर नहरों से पानी नहीं मिलने की स्थिति में जब इनकी गाढ़ी मेहनत से लगायी गयी फसल सूखने लगती है तब इनका कलेजा खेतों में पड़ी दरार के माफिक फटने लगता है। इस समस्या से किसान हमेशा परेशान रहते हैं पर सूबे की सरकार और इसके नुमाइदों की ओर से इस समस्या के निदान के लिए आजतक कोई ठोस पहल नहीं हुई नतीजतन अकेले भोजपुर जिले में हर साल हजारों एकड़ खेत परती रह जाते हैं। इस मसले को लेकर सरकार की ओर से यह दलील दी जाती रही है कि सोन नदी में पानी की कमी के कारण यह नौबत आती है पर सरकार यह बताना भूल जाती है कि इस मामले में मध्य प्रदेश सरकार से समझौते में उसकी विफलता पानी की कमी की मूल वजह रही है। यहा पटवन के लिए पानी के सवाल पर लगातार आदोलनरत एक नेताजी अंतिम छोर के खेतों में पानी पहुंचाने का भरोसा दिलाकर खुद विधानसभा तक पहुंच गये पर खेतों में पानी नहीं पहुंचा । ऐसे में क्षेत्र के किसानों ने नेता जी को गत चुनाव में अर्स से फर्श पर ला दिया । वैसे नेता जी फिर एक बार नहरों में पानी के लिए जोर मार रहें हैं पर स्थानीय किसानों को नहीं लगता कि उनके खेतों तक पानी पहुंच पाएगा। काग्रेस नेता रामेश्वर राय इस मसले पर कहते हैं कि जब तक सरकार की ओर से ठोस कदम नहीं उठाये जाते तब तक इसका समाधान संभव नहीं है। वही किसान नेता अम्बिका पाडेय कहते है कि नहरों में पानी नहीं रहने से इस साल भी रोहिणी नक्षत्र में चार दिन बीत जाने के बावजूद कहीं धान के बीज नहीं डाला जा सका है जो किसानों के लिए चिंता का विषय है।