नगर निगम का भरा है खजाना, फिर भी काम अधूरा
भोजपुर । शहर के विकास को रफ्तार देने की सरकारी कोशिशें रकम की उपलब्धता के बावजूद
भोजपुर । शहर के विकास को रफ्तार देने की सरकारी कोशिशें रकम की उपलब्धता के बावजूद क्यों नहीं परवान चढ़ पा रही है। यह बानगी देखना हो तो चले आइए आरा नगर निगम। यहां धन की कोई कमी नहीं है। न संसाधन की और न ही समय की फिर भी वर्षों बाद भी काम शुरू नहीं हो रहा है। विकास ठिठक गया है। योजनाओं की रफ्तार धीमी पड़ गई है। तेरहवें वित्त आयोग के तहत नगर निगम को वित्तीय वर्ष 2015-16 में 194.59 लाख रुपये विमुक्त हुआ था। वही पहले से भी 228.80 लाख रुपये इस मद में खर्च नहीं होने के कारण शेष बचा था। इस प्रकार कुल 423.39 लाख रुपये में 280.36 लाख रुपये अभी तक खर्च नहीं हुआ। स्थिति संतोषजनक नहीं होने पर नगर आवास विभाग ने भी नाराजगी जताई है। इस योजना के तहत अभी तक कुल आठ योजनाएं लंबित हैं। राज्य योजनान्तर्गत नगर निगम में अप्रैल 2015 में इस मद में 287.87 लाख उपलब्ध थे। वित्तीय वर्ष 2015-16 में 255.23 लाख रुपये विमुक्त हुए। कुल उपलब्ध राशि 543.10 लाख रुपये में से अद्यतन मात्र 53.90 लाख रुपये ही खर्च हुआ है। स्थिति अत्यंत निराशाजनक है। अन्य योजनाओं के तहत निगम को आवंटित राशि का भी यही हाल है। चौदहवें वित्त आयोग के तहत नगर निगम में कुल 625.62 लाख रुपये नवंबर 2015 तक पड़ा था, जिसमें से मात्र 55.92 लाख रुपये ही खर्च हो पाया है। जो मात्र 8.94 प्रतिशत है। स्थिति संतोषजनक नहीं होने पर नगर आवास विभाग ने नाराजगी जतायी है।
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