अनवरत परिवर्तन की ताकतों के पक्ष में खड़ी रहीं महाश्वेता देवी
भोजपुर । प्रख्यात साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के निधन पर साहित्यकार-संस्कृ
भोजपुर । प्रख्यात साहित्यकार व सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी के निधन पर साहित्यकार-संस्कृतिकर्मियों व राजनैतिक कार्यकर्ताओं ने भाकपा-माले जिला कार्यालय परिसर में एक शोकसभा आयोजित कर श्रद्धांजलि अर्पित की। सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक रामनिहाल गुंजन ने की। सभा को संबोधित करते हुए जनवादी लेखक संघ के राज्य अध्यक्ष कथाकार डा.नीरज ¨सह ने कहा कि महाश्वेता देवी अनवरत परिवर्तन की ताकतों के पक्ष में खड़ी रहीं। शोषण व अन्याय पर आधारित व्यवस्था का उन्होंने आजीवन विरोध किया। जसम के राष्ट्रीय महासचिव कवि-आलोचक जितेन्द्र कुमार ने कहा कि महाश्वेता देवी जनमुक्ति संघर्ष की प्रतीक थीं। उन्होंने आजीवन साम्राज्यवाद, सामंतवाद व वर्गीय उत्पीड़न का विरोध किया। वे एक सामाजिक एक्टिविस्ट कथाकार थीं, जिनकी कथा-भूमि के आधार आदिवासी व दलित समुदाय के लोग थे। प्रलेस के राज्य महासचिव प्रो.रवीन्द्रनाथ राय ने कहा कि महाश्वेता जी का ताउम्र संघर्षशील वर्गों से सरोकार रहा। जनांदोलन की शक्तियों व वामपंथियों के लिए उनका साहित्य हमेशा उत्प्रेरक रहेगा। भाकपा-माले के जिला सचिव जवाहरलाल ¨सह ने कहा कि जनता के अंदर मौजूद प्रतिरोध की क्षमता को उन्होंने हमेशा सामने लाने की कोशिश की। कवि सुमन कुमार ¨सह ने कहा कि उनके साहित्य ने उनकी पीढ़ी को जनपक्षधर पर साहित्य-संस्कृतिकर्म की परंपरा से जोड़ने का कार्य किया। अध्यक्षीय वक्तव्य में रामनिहाल गुंजन ने कहा कि नक्सलवाड़ी आंदोलन से शुरु से ही उनका जुड़ाव रहा। प्रतिक्रांतिकारी व्यवस्था के खिलाफ संघर्षरत नौजवानों के शासकीय दमन के खिलाफ उन्होंने लिखा। इस अवसर पर अजीत कुशवाहा, राजू यादव, हरेन्द्र, संदीप, विष्णु पासवान, सिद्धनाथ राम, आशुतोष कुमार पांडेय, दिलराज प्रीतम, क्यामुद्दीन, जितेन्द्र कुमार, अशोक कुमार ¨सह, मिथलेश कुमार आदि मौजूद थे।