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किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी सीबीआई

भोजपुर । बहुचर्चित बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड के करीब चारसाल पूरे होने जा रहे हैं। लेकि

By Edited By: Published: Tue, 31 May 2016 09:26 PM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 09:26 PM (IST)
किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी सीबीआई

भोजपुर । बहुचर्चित बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड के करीब चारसाल पूरे होने जा रहे हैं। लेकिन जांच के दौरान सीबीआई बहुचर्चित मुखिया हत्याकांड में किसी निष्कर्ष पर अभी तक नहीं पहुंच सकी है।

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अब तक क्या रही अनुसंधान की गति :

सीबीआई ने जुलाई 2013 में अपने यहां मुकदमा दर्ज कर केस की जांच प्रारंभ की थी। तब से लेकर आज तक जांच के तीन साल से भी अधिक समय गुजरने के बाद भी सीबीआई द्वारा मोबाइल के टावर डंप के साथ-साथ संदिग्ध करीब 500 मोबाइल नंबरों का सीडीआर निकाल कर उसकी छानबीन की जा चुकी है। घटनास्थल से बरामद खाली खोखा, कारतूस व स्व. मुखिया के खून लगे वस्त्रों को एफएसएल से जांच कराई गई थी। फिर 24 फरवरी 2014 को बहुचर्चित बरमेश्वर मुखिया हत्याकांड के मामले में दिल्ली से आई सीबीआइ की सेन्ट्रल एफएसएल की पांच सदस्यीय टीम नवादा थाना क्षेत्र अन्तर्गत कतीरा स्थित उस गली में गई थी जहां पर रणवीर सेना सुप्रीमो की गोली मारकर हत्या की गई थी। टीम जिस स्थान पर स्व.मुखिया का शव पड़ा हुआ था उसकी मिट्टी की जांच मेटल डिटेक्टर से की थी और शरीर के बाहर निकले बुलेट (पिलेट) के अलावा खून के नमूने को खोजने का प्रयास किया था।

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कब व कैसे हुई थी घटना :

मूल रूप से पवना थाना क्षेत्र के खोपीरा गांव निवासी बरमेश्वर सिंह मुखिया आरा नवादा थाना क्षेत्र अन्तर्गत कतीरा स्थित अपने आवास पर रहते थे। विगत एक जून 2012 की सुबह जब मुखिया अपने कालोनी की गली में टहल रहे थे तभी अपराधियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। करीब छह गोलियां उनके शरीर के आर-पार हुई थी। 7.65 एमएम की देसी पिस्टल से घटना को अंजाम दिया गया था। इस घटना के बाद भोजपुर हीं नहीं,बल्कि पूरे बिहार में जनाक्रोश भड़क उठा था। आरा के अलावा पटना, जहानाबाद, गया एवं औरंगाबाद सहित कई जिलों में हो-हंगामा हुआ था। प्राथमिकी अज्ञात के विरुद्ध दर्ज कराई गई थी। तत्कालीन डीजीपी अभयानंद के आदेश पर पहले कांड के उद्भेदन हेतु शाहाबाद रेज के तत्कालीन डीआईजी अजिताभ कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया था। जिसे 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट देना था। रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद जुलाई माह में इसे भंग कर दिया गया था। आगे के अनुसंधान की जिम्मेवारी तत्कालीन एसपी एम.आर नायक को सौंपी गई थी। वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिये पुलिस ने कांड का भंडाफोड़ करने का दावा किया था। दूसरी ओर अखिल भारतीय राष्ट्रवादी किसान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंदु भूषण सिंह बिहार सरकार की किसी भी जांच एजेंसी पर भरोसा नहीं होने की बात कहते हुए सीबीआई जांच की मांग को लेकर 21 जून 2013 से पटना के गांधी मैदान में गांधी जी की प्रतिमा के समक्ष अपने समर्थकों के साथ अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठे थे। जिसके बाद राज्य सरकार ने दूसरी बार जांच का प्रस्ताव केन्द्र को भेजा था।


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