शहरवासियों को स्वच्छ पेयजल मयस्सर नहीं
भोजपुर । शहर के आधा से अधिक इलाकों में पीने के लिए पानी की जलापूर्ति नहीं होती है। 90 प्रतिशत घरों
भोजपुर । शहर के आधा से अधिक इलाकों में पीने के लिए पानी की जलापूर्ति नहीं होती है। 90 प्रतिशत घरों में स्वच्छ जल पीने के लिए खुद की बो¨रग या नलकूप लगा है। नगर निगम की ओर से प्रत्येक वार्ड में चापाकल भी लगवाये गये, लेकिन अधिकांश चापाकल बेकार हो गये हैं। शहर में कुल 45 वार्ड हैं। जिसकी आबादी तकरीबन तीन लाख से उपर है। महज पांच-छह वार्डो में ही जलापूर्ति होती है। शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति की जिम्मेदारी नगर निगम और लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की है। स्थिति यह है कि लगभग पचास साल पुरानी जर्जर पाइप लाइन से शहर में जलापूर्ति जारी है। पुराने ढांचे पर टिकी शहर की जलापूर्ति व्यवस्था से अधिकांश घरों में स्वच्छ जल पहुंचता ही नहीं है। जिन घरों में पहुंचता भी है, तो वह गंदे नाले का। कारण जगह-जगह पाइप सड़ गयी हैं। हालांकि अधिकांश शहरवासी इस पानी का सदुपयोग नहीं करते हैं। तीन लाख की आबादी स्वच्छ जल के लिए तरस रही है। भोजपुर लोक स्वास्थ्य प्रमंडल के सूत्रों का कहना है कि जर्जर हो चुकी पाइप लाइन को बदलने के लिए कई बार विभाग को पत्र लिखा जा चुका है। पुरानी स्कीम के चलते शहर की इतनी बड़ी आबादी को स्वच्छ जल मुहैया कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि लगभग 57 साल पुरानी स्कीम के चलते जलापूर्ति बाधित होती है। आरा वाटर सप्लाई स्कीम 1958 ई की बनी हुई है। पुराने पाइल मकान ध्वस्त होने के कगार पर हैं। वर्षो से जर्जर हो चुकी पाइप की सफाई इसी कारण से नहीं हो पाती है। जिस कारणों पाइपों में बालू भर गया है। पुरानी स्कीम की उम्र 30 साल थी। मगर 57 साल बाद आज भी उसी पुरानी स्कीम पर ही शहर की जलापूर्ति टिकी है। आरा शहर को 80 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के लिए पानी की आवश्यकता है। आपूर्ति होती है 60 लीटर प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के औसत से। वह भी कभी कभार। शहर के लिए प्रतिदिन 21 लाख 33 हजार गैलेन पानी की जरूरत है। लेकिन आपूर्ति की जाती है 14 लाख 22 हजार गैलेन।