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जनसंख्या नियंत्रण में महिलाएं आगे

लोगो के साथ लगाएं जागरण संवाददाता, आरा : बेशक, धरती पर लगातार बढ़ रहे आबादी के बोझ ने दुनिया वालो

By Edited By: Published: Sat, 20 Dec 2014 11:23 AM (IST)Updated: Sat, 20 Dec 2014 11:23 AM (IST)
जनसंख्या नियंत्रण में महिलाएं आगे

लोगो के साथ लगाएं

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जागरण संवाददाता, आरा : बेशक, धरती पर लगातार बढ़ रहे आबादी के बोझ ने दुनिया वालों के सामने नई- नई चुनौतियों को खड़ा करना शुरू कर दिया है। फलस्वरूप मानव समाज की वर्तमान पीढ़ी बेरोजगारी और खाद्यान्न संकट के खतरों से खासी प्रभावित हो रही है। हालांकि कई लोग ऐसी खतरों का प्रमुख कारण संसाधनों का असमान वितरण भी बताते हैं। बहरहाल दुनियां के अधिकांश देशों में जनसंख्या नियंत्रण को जरुरी समझते हुए पिछले कई दशकों से जागरूकता समेत कई अन्य कार्यक्रम और अभियान संचालित किये जा रहे हैं। बावजूद इसके इसे नियंत्रित रख पाने में कोई खास सफलता हासिल नहीं हो पा रही है। इसका एक उदाहरण हमारे गृह जिला भोजपुर की बढ़ती आबादी भी है, जहां पिछले दशक की तुलना में आबादी 24 लाख से बढ़कर 29 लाख के करीब पहुंच चुकी है।

परिवार कल्याण कार्यक्रमों की भूमिका :

इस मामले में स्वास्थ्य मंत्रालय की पहल का प्रभाव जिला अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी स्पष्ट दिखने लगा है। तभी तो अकेले भोजपुर में प्रसव पूर्व स्वास्थ्य जांच कराने वाली महिलाओं की संख्या वित्तीय वर्ष में 59,513 तक पहुंच चुकी थी, जबकि प्रसवोपरांत स्वास्थ्य लाभ लेने वाली महिलाओं की संख्या 43,000 के करीब थी। इस योजना की सफलता हेतु 1766 प्रशिक्षित एवं 2264 चयनित आशा कार्यकर्ता जी-जान से लगी हैं।

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महिलाओं की उत्साह जनक भागीदारी:

परिवार नियोजन के मामले में भोजपुर में महिलाओं की उत्साहजनक भागीदारी दिखने लगी है। नसबंदी और बंध्याकरण के आंकड़ों पर गौर करें तो महिलाओं ने पुरुषों को काफी पीछे छोड़ दिया है। तभी तो वित्तीय वर्ष में भोजपुर में 230 पुरुष नसबंदी के विरुद्ध महिलाओं ने 5541 बंध्याकरण कराया। संस्थागत प्रयासों में सूर्या क्लीनिक द्वारा बंध्याकरण की सर्वाधिक उपलब्धि 1672 थी, जबकि पुरुष नसबंदी वहां भी 27 से आगे नहीं बढ़ पायी। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पीरो ने सर्वाधिक 665 बंध्याकरण की उपलब्धि दर्ज की है। बताते चलें कि परिवार नियोजन के वैकल्पिक साधनों के रूप में 10 वर्षीय कापर-टीऔर गर्भ निरोधक गोलिया भी सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध करायी जा रही है।


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