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दुर्गापूजा को ले उत्साह चरम पर

संवाद सूत्र, कोईलवर (भोजपुर): नवरात्र पर मां दुर्गा की आराधना व दुर्गापूजा को ले उत्साह चरम पर है। न

By Edited By: Published: Tue, 30 Sep 2014 09:42 PM (IST)Updated: Tue, 30 Sep 2014 09:42 PM (IST)
दुर्गापूजा को ले उत्साह चरम पर

संवाद सूत्र, कोईलवर (भोजपुर): नवरात्र पर मां दुर्गा की आराधना व दुर्गापूजा को ले उत्साह चरम पर है। नगर पंचायत कोईलवर समेत प्रखंड के सभी गांवों में इसकी धूम है। कई जगह मां दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की गयी है। पूजा स्थल सजाये गये हैं और माइक पर भक्ति गीतों की आवाजें इस पूजा और त्योहार को भक्तिमय बना रहा है।

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नाटकों के लिए मशहूर है कोईलवर

कोईलवर : स्वतंत्रता संग्राम के समय आजादी के दीवानों में जोश व जुनून भरने के लिए शुरू किये गये नुक्कड़ नाटकों ने बाद में दुर्गापूजा के अवसर पर संस्थागत रंगमंच का रूप ले लिया। प्रत्येक वर्ष नवरात्र की सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी की रात नाटकों का मंचन होने लगा। इनमें तीनों रात अलग-अलग शीर्षक से धार्मिक, ऐतिहासिक व सामाजिक विषय पर स्तरीय, शिक्षाप्रद नाटक दुर्गापूजा के अंग बन गये। कलाकारों की भूमिका स्थानीय निवासी निभाते आये हैं। इसके लिए आजादी के तत्काल बाद नाट्य संस्था जनता ड्रामेटिक एसोसिएशन अस्तित्व में आई। संस्था के कुछ कलाकारों ने फिल्मों में कलाकारी तक का सफर तय किया और अपने साथ-साथ कोईलवर और संस्था का नाम रोशन किया। आबादी, कलाकारों की रुचि और संख्या बढ़ने के साथ दो और नाट्य संस्थाएं 'आजाद कला मंदिर' व 'सरस्वती कला केन्द्र' अस्तित्व में आई। पिछले दशकों से तीनों संस्थाएं धूम मचा रही है। तीनों रात नाटकों के साथ-साथ बाहर से बुलायी गयी नृत्य मंडलियां लोगों का मनोरंजन करती है। नगर के आसपास के गांवों के लोग भी यहां मनोरंजन के लिए आने से अपने आपको रोक नहीं पाते।

भक्त ने सीने पर रखा कलश

कोईलवर (भोजपुर) : सोन तटीय नगर कोईलवर के वार्ड दस स्थित कपाली बाबा आश्रम के मंदिर में रंजन गौड़ नामक युवक ने नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना के तहत निर्जला व्रत के साथ अपने सीने पर कलश स्थापित किया है जो यहां आकर्षण व चर्चा का विषय है। रंजन के पिता गोपाल तिवारी उर्फ कपाली बाबा सोन नद के बीच सुरौधा जंगल में कुटिया में आराधना कर रहे हैं।


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