महज एक स्लूईस गेट के अभाव में तबाह होती बड़ी आबादी
संवाद सूत्र, बड़हरा (भोजपुर): बाढ़ नियंत्रण विभाग की छोटी सी लापरवाही बहुत बड़ी तबाही मचाने को काफी है। तबाही ऐसी जो प्रखंड क्षेत्र की तकरीबन आधी आबादी सहित जान-माल के लिए जी का जंजाल बनती हो। वह भी लगभग हर वर्ष। पर विभाग शायद यह नहीं सोचता कि बाढ़ के काल से बचाने को बना तटबंध आखिर किस काम का, कि सुरसा के मुंह की तरह तटबंध के भीतर बसे गांवों को निगलते रहने के लिए एक 'विपत्ति दरवाजा' खुला छोड़ दिया गया हो। बाढ़ के कहर से बचाने वास्ते करोड़ों रुपये खर्च कर भले ही बांध 25 वर्षो से बना है पर 'विपत्ति दरवाजा' में एक स्लूईस गेट नहीं लगने से गंगा के जल स्तर में थोड़ी वृद्धि भी गांवों में भारी तबाही ला देती है। बता दें नेकनाम टोला-केशोपुर सकुचाही नदी के मुहाने पर बांध निर्माण के बाद आज तक स्लूईस गेट नहीं लग पाया। जिससे नेकनाम टोला पंचायत तो बाढ़ से पूर्णत: घिर ही जाता है। इसके साथ ही प्रखंड के कई गांवों पर जलस्तर में जब वृद्धि होती है तो बाढ़ का दबाव बढ़ जाता है। हजारों एकड़ में खड़ी फसल डूब कर नष्ट हो जाती है। इलाके के प्रभावित लोग बताते हैं कि यदि सकुचाही नदी में स्लूईस गेट लगाकर बांध पूर्ण कर दिया जाए तो एक बड़ी आबादी को राहत मिल जायेगी।
क्षेत्र जो होते हैं प्रभावित :
प्रखंड के नेकनाम टोला पंचायत के अलावे बखोरापुर, केशोपुर, करजा, भुसौला, बड़का लौहर, तुर्की, फरना, दुबे छपरा, अलेखी टोला, छपरा पर, पैगा, गुंडी, हाजीपुर, सबलपुर, महुदही, नथमलपुर, उदयभानपुर, बभनगांवा, फरहदा, झोंकीपुर, छीन्नेगांव, गजियापुर, शिवपुर, दुर्गटोला, इटहना, लव फुसपुर, मिल्की आदि गांव।