पीएम मोदी से भी की थी फर्जीवाड़े की शिकायत
भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक सह कनीय वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति से वंचित
भागलपुर। बिहार कृषि विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक सह कनीय वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति से वंचित मेधावी अभ्यर्थियों ने पूर्व कुलपति व मुंगेर जिले के तारापुर विस क्षेत्र से विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी के काले कारनामों की शिकायत पीएम मोदी से भी की थी। उन्होंने शिकायत पत्र के साथ आरटीआइ से प्राप्त सबूतों को भी संलग्न किया था और न्याय की गुहार लगाई थी।
पीएम मोदी ने उक्त मामले को गंभीरता से लिया था। पीएमओ कार्यालय द्वारा फर्जीवाड़े की रिपोर्ट सूबे के राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद से मांगी थी। राज्यपाल ने बीएयू के कुलपति को इस मामले की रिपोर्ट जल्द सौंपने का निर्देश दिया था। विलंब होने की स्थिति में पुन गवर्नर ने पटना वेटनरी कॉलेज में 04-06 जनवरी 2016 को आयोजित इंटर कॉलेज स्पोर्ट्स मीट में भी बीएयू के कुलपति से जल्द रिपोर्ट सौंपने को कहा था। तब जाकर विवि प्रशासन ने अपनी रिपोर्ट गवर्नर को सौंपी थी।
गौरतलब है कि राजभवन के आदेश पर कुलसचिव ने पूर्व कुलपति डॉ. मेवालाल के खिलाफ मंगलवार को सबौर थाने में एफआइआर दर्ज कराई है।
प्रोन्नति में भी नियमों की उड़ाई गई धज्जियां
सूत्रों सूत्रों की मानें तो विवि में पूर्व कुलपति द्वारा नियम कानून को ताक पर रख कर कई अधिकारियों को वर्ष में तीन बार प्रोन्नति का भी लाभ दिया गया। पीजी की शैक्षणिक कार्य के लिए पीएचडी की योग्यता रखने वाले शिक्षकों की जगह एमएससी एजी योग्यता वाले शिक्षकों की नियुक्ति भी कर ली गई है।
ड्राइवर नियुक्ति घोटाले को लेकर भी सुर्खियों में रहा था बीएयू
ड्राइवर नियुक्ति घोटाले को लेकर भी बिहार कृषि विवि सुर्खियों में रहा था। विवि प्रशासन ने ड्राइवर पद पर नियुक्ति के लिए फर्जी एमवीआइ को साथ लेकर साक्षात्कार के कार्य को अंजाम देने का प्रयास किया था। जिसका पर्दाफाश होने पर तत्काल इंटरव्यू पर रोक लगा दी गई थी और फर्जी एमवीआइ फरार हो गया था। उक्त एमवीआइ भ्रष्टाचार के आरोप में राज्य सरकार द्वारा सेवा से बर्खास्त किया जा चुका था। बावजूद इसके विवि प्रशासन ने साक्षात्कार के लिए पत्र जारी कर बुलावा भेजा था।